Book Title: Pratibodh
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 49
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रहा था कि सहसा एक भयंकर तूफान आया । उससे जहाज डगमगाने लगा | एक श्रावक यह देखकर प्रभु का ध्यान करने बैठ गया । उसकी पत्नी ने कहा :- "यह तो डूब मरने का समय हो ध्यान करने का नहीं ! " यह सुनकर पति ने पिस्तौल उठाकर पत्नी को निशाना बनाया । पत्नी मुस्कुरा ने लगी । पति ने कारण पूछा तो उसने कहा :- 'मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मुझ पर गोली नही चलाओगे; इसीलिए तुम्हारे इस अभिनय पर मुझे हँसी आ गई ।" इस पर पति ने कहा :- "जैसे तुम्हें मुझपर विश्वास हैं, वैसे ही मुझे प्रभु पर विश्वास है; इसी लिए में निश्चिन्त होकर प्रभुका ध्यान कर रहा हूँ ।' कुछ समय सचमुच आशा के अनुरूप तूफान शान्त हो गया जैसे शिव का भक्त शेव, विष्णु का भक्त वैष्णव और बुद्ध का भक्त बौद्ध कहलाता हैं, वैसे ही जिन का भक्त जैन है । रागद्वेष के विजेता को जिन कहते हैं । जिन देव निष्पक्ष होते हैंपरम विवेकी होते हैं। उनके अनुयायी भी निष्पक्ष और विवेकी बने । हंस जिस प्रकार पानी छोड़ कर दूध पी लेता हैं, वैसे ही विवेकी सद्गुण सब से ग्रहण करता है और दुर्गुण छोड़ देता है । इससे विपरीत अविवेकी कुप्पी (कीप या छन्नी) के समान कचरे जैसे दुर्गुणों को ग्रहण करता है और सद्गुणों को छोड़ देता है । परमविवेकी प्रभु ने अशान्त जगत् को शान्त करने के लिए, विविध विवादों को सुलझाने के लिए तथा सच्चे ज्ञान को प्रकाशित करनेके लिए स्याद्वाद का सिद्धान्त प्रकट किया है । स्याद्वाद को ही अनेकान्तवाद कहते हैं । स्याद्वाद विभिन्न दृष्टिकोणों से एक वस्तु को देखना सिखाता है । वह सलाह देता हैं कि किसी वस्तु को ठीक तरह से समझने के लिए (जरूरी है कि उसे) आप केवल अपनी ही नहीं, किन्तु दूसरों की आँखों से भी देखने का प्रयास करें । “एकस्मिन्वस्तुन्यविरुद्धनानाधर्मस्वीकारो हि स्याद्वादः । " ( एक वस्तु में अविरोधा अनेक धमां की स्वीकृति स्थाद्वाद है। ) बड़े मुल्ला ने पत्नी से कहा :- " थोडा सा पनीर ले आओ। वह भूख बढ़ाता है ।" पत्नी बोली :“अजी ! पनीर तो घर में नहीं है । कैसे लाऊं ?" मुल्ला :- "यह तो अच्छी बात हो क्यों कि पनीर दाँतों की जड़ों को कमजोर बनाता है ।" ४%, For Private And Personal Use Only

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