Book Title: Pratibodh
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 63
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. किसी राजा को सपने में दिखाई दिया कि उसकी बत्तीसी गिर गईं है । दूसरे दिन स्वप्नफल पाठकों से पुछने पर एक ने कहा :बत्तीसों कुटुम्बी एक के बाद एक मर जायेंगे !" 'आपके राजा को इससे बहुत अधिक शांत हुआ; किन्तु तीसरे दिन दूसरे विद्वान् ने जब यह कहा कि- 'आपकी उम्र आपके सभी कुटुम्बियों से अधिक है । कोई भी कुटुम्बी आपका महाप्रयाण नहीं देख सकेगा !” तो राजा को बहुत प्रसन्नता हुई । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (4 बात दोनों विद्वानो ने एक ही कहा; परन्तु पहले ने अविवेकपूर्वक कहा, दूसरे ने विवेकपूर्वक । इसी लिए उनके बोलने का प्रभाव राजा पर अलग-अलग हुआ । किसी की गुप्त बात प्रकट करने से यदि उसकी हानी होने की संभावना हो तो सच्ची होने पर भी वह बोलने योग्य नहीं। दूसरों को लाभ पहुँचाने वाली बात बोलनी चाहिये, हानि पहुंचाने वाली नहीं; क्योंकि किसी को हानि पहुँचाना पाप है; इसलिए स्वयं महाश्रमण महावीर ने अपने श्रीमुख से फरमाया है : ६२ " सच्चावि सा न वत्तव्वा जओ पावस्स आगमो ॥" ( जिससे पाप होता हो, ऐसी सच्ची वाणी भी नहीं बोलनी चाहिये) वचनों का प्रयोग मन्त्र की तरह होना चाहिये, जिसमें शब्द कम हों और अर्थ गम्भीर हो । धन के घमंड में बहुत अधिक बोलने पर लाखों की लागत के महल में रहनेवाले भी कौड़ी के लिए कोर्ट के दरवाजे खटखटाते 1 वाणी का संयम वही रख सकता है, जिसका अपने विचारों पर संयम हो। चावल के एक कण के आकार वाला तान्दुल मत्स्य सातवी नरक में क्यों जाता है ? मगरमच्छ की पलकों पर बैठा हुआ वह देखना है कि मगर के विशाल मुँह के खुलते ही बहुत-सी छोटी-छोटी मछलियाँ बाहर निकल कर इधर-उधर भाग जाती है तो वह सोचता है "केसा है यह मूर्ख ? इसे अपना मुँह भी ठीक से बन्द करना नहीं आता । यदि इस मगर के स्थान पर मैं होता तो अपने मुँह में प्रविष्ट एक भी मच्छी को बाहर नहीं निकलने देता !" इस प्रकार रौद्रध्यान से वह अपनी आत्मा को कर्मशृंखलाओं से जकड़ता रहता है और फिर भोगता है- सातवें नरक के दुःख ! For Private And Personal Use Only

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