Book Title: Pratibodh
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपदेश को कुमारपाल भूपाल ने ग्रहण किया और “परम आर्हत” का पद प्राप्त किया । । आचार्यश्री के उपदेश से प्रभावित होकर कुमारपाल ने जैन धर्म की प्रभावना की, दुराचार का त्याग किया, जिनमन्दिरों का निर्माण तथा जीर्णोद्धार कराया, अमारी घोषणा ("कोई किसी पशुपक्षी की हत्या न करे" - ऐसी राजाज्ञा जारी की तथा धूम धाम से उत्साह के साथ अनेक बार तीर्थयात्राएँ की । इन सब कार्यों के अतिरिक्त एक महत्त्वपूर्ण कार्य यह किया कि स्थान-स्थान पर ज्ञानभण्डार (जैन धर्म के ग्रन्थों का संग्रह) स्थापित किये, जिन की कुल संख्या इकीस थी। जैन धर्म का सूर्य के समान सर्वत्र प्रकाश फैलाने वाले जैनाचार्य श्री हेमचन्द्रसूरि ने संवत् १२२९ में अर्थात् अठ्ठयासी (८८) वर्ष की अवस्थामें संलेखना के साथ शान्तिपूर्वक अपने जर्जर नश्वर शरीर का परित्याग किया । उनके चिरवियोग से पूरा जैनजगत् शोकमग्न हो गया था; फिर भी उनके ग्रन्थों का अध्ययन करते समय ऐसा लगता है कि वे आज भी हमारे समाने मौजूद हैं, जीवीत हैं, अमर हैं । For Private And Personal Use Only

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