Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 02 Jain Rajao ka Itihas Author(s): Gyansundar Maharaj Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala View full book textPage 5
________________ [ ४ ] शान्ति-किस विषय का ? कान्ति-विषय बहुत जटिल है। शान्ति-पर वह है कौन सी ? कान्ति-विषय है हमारे पूर्वजों के इतिहास की । शान्ति-आपने कहां तक लिखा है ? . कान्ति-लिखें क्या कुछ साधन ही नहीं मिलता है । शान्ति-फिर भी कुछ मिला तो होगा ही ? कान्ति-बहुत कम मिला है। शान्ति--क्या आपने कुलगुरु व वहीभाटों से तलाश की हैं ! __ क्योंकि इस विषय का साहित्य उन लोगों के पास अक्सर ... मिला करता है। कान्ति-उन लोगों के पास सच्चा इतिहास नहीं मिलता है यदि कुच्छ मिलता है तो उसमें सत्यता का अंश बहुत कम है. केवल इधर उधर की सुनी हुई प्रमाणशून्य बातें ही मिलती हैं वे इतिहास के लिये अनुपयोगी हैं। शान्ति-मेहरबान ! कुलगुरुओं की वंशावलिए सर्वथा निराधार नहीं हैं उनमें भी बहुत सा तथ्य रहा हुआ है और इतिहास लिखने में वे उपादेय भी हैं। कान्ति-जहाँ तक इतिहास प्रमाण न मिले वहाँ तक मैं उन ___ वंशावलिए बगैरह को उपादेय नहीं समझता हूँ। शान्ति-आपका कहना किसी अंश में ठीक है पर ख्याल करो इतिहास तैयार करने के लिये ऐसी सामग्री की भी तो आवश्यक्ता है ? . . कान्ति-भाई साहिब ! इतिहास की सामग्री-शिलालेख,Page Navigation
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