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कै १५, १-१०,१६,१-७].
उज्झाकण्डं-पञ्चवीसमो संधि [३९
[१५] सूरु व जलहरेहिँ जं वेढिओ कुमारो।
उद्विउ धरै दलन्तु दुबार-वइरि-वारो ॥१ रोकड वलइ धाइ रिउ रुम्भइ णं केसरि-किसोरु पवियम्भइ ॥२ णं सुरवर-गइन्दु मय-विम्भलु , सिर-कमल तोडन्तु महा-वलु ॥ ३ ॥ दरमलन्तु मणि-मउड णरिन्दहुँ सीहु पढुक्किउ जेम गइन्दहुँ॥ ४ .. को वि मुसुमूरिउ चूरिउ पाऍहिँ को वि णिसुम्भिउ टक्कर-धाऍहि ॥ ५ को वि करग्गॅहिँ गयण भमाडिउ को वि रसन्तु महीयलें पाडिउ ॥६ को वि जुज्झविउ मेस-झडकऍ कों वि कडुवाविउ हक्क-दडक्कएँ ॥७. गयवर-लग्गण-खम्भुप्पा.वि गयण-मग्गे पुणु भुअहिँ भमा.वि ॥ ८ ॥ णाइँ जमेण दण्डु पम्मुक्कउ वईरिहिँ णं खय-कालु पढुक्कउ ॥९
॥ घत्ता ॥ आलण-खम्भेण भामन्तें पुहइ भमाडिय । तेण पडन्तण दस सहस णरिन्दैहुँ पाडिय ॥१०
[१२] जं पडिवक्खु सयलु णिहलिउ लक्खणेणं ।
गयवरें पट्टवन्धणे चडिउ तक्खणेणं ॥ १ अहिमुहु सीहोयरु संचल्लिउ पलय-समुदु णाई उत्थलिउँ ॥ २ सेण्णावतं दिन्तु गजन्तउ पहरण-तोय-तुसार-मुअन्तउ ॥ ३ तुङ्ग-तुरङ्ग-तरङ्ग-समाउलु मत्त-महागय-घड-वेलाउलु ॥४ ॥ उन्भिय-धवल-छत्त-फेणुजलु धय-कल्लोल-चलन्त-महावलु ॥५ रिउ-समुद्दु जं दिगु भयङ्करु लक्खणु ढुकु णाइँ गिरि मन्दरु ॥ ६ चलइ वलइ परिभमइ सु-पच्चलु णाई विलासिणि-गणु चलु चञ्चलु ॥७
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15. 1 PS A वेढिउ. 2 PS हणु भगंतु. 3 Ps भिंभलु. 40P S महबलु. 5 P नेरिंदहु, Sणरिंदहो, A णरिंदहं. 6 PS गइंदहु, A गइंदहं. 7 A जुज्झाइउ: 8 कु. 9A मडकए. 10 P SA °भुपाडि वि. 11 P वहरिहे, S A वहरिहि. 12 P corrects as भालाण', A आलाण'. 13 P S णरिंदहु, A णरिंदहं.
16. 1 P णिहलिभउ, SA णिहलियउ. 2 P S लक्खणेण. 3 PS पबंधे. 4. PS तक्ख. णेण. 5 PS णाइ, 4 णाई. 6 P उच्छल्लिउ. 7 PS सेणावत्तु, 8 P देनु, दिण्णु. 9 P °तमाउलु. 10 A °महग्गय . 11 A °महव्वलु. 12 A erroneously inserts between णाई (folio 101 a, 4 th line) and गिरिमंदरु •( folio 101 b. last line ) some portion of the text from other context,
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