Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 313
________________ २७२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० १५,८-१०; १६, १-१० दसमउ मणे परिचाउ करेबउ ऍह दस-भेउ धम्मु जाणेबउ॥८ धम्में होन्तएण सुहु केवलु धम्में होन्तएंण चिन्तिय-फल ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ धम्मेण दसास घरु परियणु सक्डम्मुहउ । . . विणु एकें तेण सयलु वि थाइ परम्मुहउ ॥ १० [१६] 'मारुइ मण-आणन्दयर णिय-कुले ससि अ-कलङ्क । जाणइ जाणिय सयल-जगें कह भय-भीएं मुक' ॥ १ अण्णु वि दहवयण मणेण मुणे णामेण वोहि-अणुवेक्ख सुणे ॥ २ ॥ चिन्तेवंउ जीवें रत्ति-दिणु "भवे भवें मह सामिउ परम-जिणु ॥ ३ भर्वे भवे लब्भउ समाहि-मरणु भवें भवें होजउ सुग्गइ-गमणु ॥४ भवें भवें जिण-गुण-सम्पत्ति महु भवें भवे दंसण-णाणेण सहुँ ॥ ५ भवें भवें सम्मत्त होउ अचलु भवे भवे णासउ हय-कम्म-मलु ॥ ६ भवें भवें सम्भवउ महन्त दिहि भवें भवे उप्पज्जउ धम्म-णिहि" ॥७ 18 रावण अणुवेक्खउ एयाउ : जिण-सासणें वारह-भेयाउ ॥ ८ जो पढइ सुणइ मणे सद्दहइ सो सासय-सोक्ख-सयइँ लहई' ॥९ ॥ घत्ता ॥ सुन्दर-वयणाइँ लग्गइँ मणे लकेसरहाँ । स इँ भु व-जुवलेण किउ जयकारु जिणेसरहाँ ॥ १० [ ५५. पञ्चवण्णासमो संधि] । 'ऐत्तहें दुलहउ धम्मु एत्तहे विरहग्गि गरूवउ। आयह कवणु लएमि' दहवयणु दुवक्खीहूंअउ । . 11 A दसमउं. 12 s A हुतएण. 13 PA सवडम्मुहउं. 14 A परम्मुहउं. 16. Ps read this (s. with दोहा ॥ prefixed) at the end of this Kadavaka after the words sifa: 11 48117 11. They read here instead the commencing stanza of 4. Kadavaka. 2 P S इ. 3 PS सुणि. 4 PA चिंतेवउ. 1. 1 Ps read the commencing stanza of the 4. Kadavaka of the previous Sandhi in the beginning of the present Sandhi and the following extra stanza. thereafter: एकसि कियउ अक(s. य)ज्जु, जं आणिय रामहों सीय । पुणु गुरुवारी होउ महु, जं भीएं( . यं) अप्पीय ॥ छ ॥. 2 Ps दुल्लहु. 3 s मायह, A आयहु. 4 P हूअउं, SAहूयउ. 5 A. reads ध्रुवकं at the end; P. S. have ॥ छ॥. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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