Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 312
________________ क. ११,१०,१५, १-७] सुन्दरकण्ड-चउवण्णासमो संधि [२७१ [१४] रावणं णिज्जर भावि तुहुँ जा दय-धम्मों मूलु। तो.वरि जाणवि परिहरहि किजई तहों अणुकूलु ॥ १ लङ्काहिव दंणु-दुग्गाह-गाह णिज्जर-अणुवेक्खा णिसुणि णाह ॥२ छट्टट्ठम-दसम-दुवारसेहिँ वहु-पाणाहारेंहिँ णीरसेहिँ ॥ ३ चउथेहिँ तिरत्ता-तोरणेहिँ पक्खेकवार-किय-पारणेहिँ ॥४ मासोववास-चन्दायणेहिँ अवरेहि मि दण्डण-मुण्डणेहि ॥ ५ वाहिर-सयणेहिँ अत्तावणेहिँ तरु-मूर्लेहिं वर-वीरासणेहिँ ॥६ सज्झाय-झाण-मण-खश्चर्णेहि वन्दण-पुजण-देवच्चणेहि ॥ ७ संजम-तव-णियोंहिँ दूसहेहिँ घोरेंहिं वावीस-परीसहेहिँ ॥८ ॥ चारित्त-णाण-वय-दसणेहिँ अवरेहि मि दण्डण-खैण्डणेहिँ ॥९ ॥ घत्ता॥ जो जम्म-सएण सञ्चिउ दुक्किय-कम्म-मर्लु। सो गलइ असेसु 'वरण दु-यद्धऍ जेम जलु ॥ १० [१५] धम्मु अहिंसा दहवयण जाणहि तुहुँ दह-भेउ । . तो.वि ण जाणइ परिहरहि काइ मि कारणु एउ ॥ १ अहाँ जिणवर-कम-कमलिन्दिन्दिर दसधम्माणुवेक्ख सुणे दस-सिर ॥२ पहिलउ एउ ताम वुझेवउँ जीव-दया-वरेण होएबउ ॥ ३ वीयउ मद्दवत्तु दरिसेवउ तइयउ उजय-चित्तु करेवउ ॥ ४ 20 चउथंउ पुणुलावेण जिवेवउ पञ्चमउ वि तव-चरणु चरेवउ ॥५ छट्ठउ संजम-वउ पालेबउ सत्तमु किम्पि णाहिँ मग्गेबउ ॥ ६ अट्ठमु वम्भचेरु रक्खेबउ णमउ सच्च-वयणु वोल्लेबउ ॥७ __ 14. 1A रामण. 2 A जहि. 3 P इय° corrected as दय', 5 इय.. 4 P S जाणतो वि ण. 5 P किं अण्णहि पडिकूले, किं अण्णहि पडिकूलु. 6 A किंमइ. 7 A. omits this. SP अणुवेक्ख, S अणुवेक्ख वि. 9 P °दुआलसेहिं, °दुवलसेहि. 10 P s चउत्थेहि. 11 PS वइराएहिं (s °हि) धम्मोपायणेहिं (s 'हि). 12 A. omits this. 13_P S मुंडणेहिं. 14 S फलु, 15 P वरणि, s.वराणि. 16 s पद्धए. 15. 1A जाणवि. 2 A तो वरि. 3 PS परिहरहिं. 4 PS सुणु. 5°PS एंहु.. 6 PA read all gerundives with °वउ. 7 PS जिएव्वउ, A जिवेवउ. 8 P लएवउ, लयेम्वड, A चरेवड. 9 PS सत्तमउं ण किंपि. 10 A मवमउं. [१४] १पाली. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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