Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
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२८० ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० २, १-९,३, १-९
[२] सण्णडु कइद्धय-पवर-राउ सण्णडु अङ्ग अङ्गय-सहाउ ॥१ सण्णद्ध हणुउ पहरिस-विसर्दु रावण-णन्दणवण-मइयवट्ट॥.२ सण्णडु गवउ अण्णु वि' गवक्खु जम्वुर्णणउ दहिमुहुँ दुण्णि रिक्खु ॥ ३ सण्णधु विराहिउ सौहणाउ सण्णडु कुन्दु कुमुएं सहाउ ॥ ४ सण्णडु णीलु णलु परिमियङ्ग सण्णडु सुसेर्ण ई रणे अभङ्गु ॥ ५ सण्णडु सीहरहु रयणकेसि सण्णभु वालि-सुउ चन्दरासि ॥ ६ सण्णधु स-तणउ महिन्दराउ भडु लच्छिभुत्ति पिहुमइ-सहाउ ॥७ चन्दप्पहु चन्दमरीचि अण्णु सण्णडु असेसु वि राम-सेण्णु ॥ ८
॥ घत्ता ॥ अण्णेक्कु वि सण्णज्झन्तउ उप्परि जय-सिरि-माणणहों। लक्खिज्जइ लक्खणु कुद्धउ णं खय-कालु दसाणणहों ॥ ९
[३] अण्णेक सुहड सण्णद्ध के वि णिय-कन्तहँ आलिङ्गणउ देवि ॥ १ 15 अण्णेकहाँ धण तम्बोलु देइ अण्णेक्कु समप्पियंउ वि ण लेइ ॥ २ 'मइँ कन्ते समाणेबउ दैलेहिँ गय-पण्णहिँ रहवर-पोप्फलेहिँ ॥ ३ णरवर-संचूरिय-चुण्णएण रिउ-जय-सिरि-वहुअए दिण्णएण' ॥४ अण्णेकहो जाइँ सु-कन्त देइ ओहुल्लइँ फुल्लइँ णरु ण लेइ ॥५ 'ण समिच्छमि हउँ तुहँ लेहि भज्जे एतिउ सिरु णिवडइ सामि-कजे॥६ "अण्णेकहाँ धण भूसंणउ देइ अण्णेकु तं पि तिण-समु गणेइ॥७ 'किं गन्धं किं चन्दण-रसेण मइँ अङ्ग पसाहेबउ जसेण ॥८
॥ घत्ता। अण्णेकहों धण अप्पाहइ 'हिम-ससि-सङ्ख-समुज्जलइ। करि-कुम्भइँ णाह दलेप्पिणु आणेजहि मुत्ताफलइँ' ॥९
2. 1A मइयपटु. 2 PS इ. 3 A जंवुण्णउं. 4 PS दहिमुह, A दहिमुहूं. 5 PS णल, A. नलु. 6 P सुसेण. 7 A. omits. 8 P A सतणउं. 9 ' S °मरीचि.
3. 1 Ps कतहु आलिंगुण करेवि; A आलंगणउं देवि. 2 PS समप्पिउ पिउ ण. 3 PS हय. 4 A संचुण्णियदुण्णएण. 5 A इंतउ. 6P भूखणई, s भूसणइ.
[२] १ सुग्रीवः [३] १ सदलैः (?). २ वांछति आढवति वा.
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