Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
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क० १२, १–९, १३, १-९]
ते भिडिय परोप्परु रणें रउद्द विष्णार्णेहिं करणेंहिं कररुहेहिं पहरन्ति धन्ति विष्फुरिय-वयण एत्थन्तरें रावण - किङ्करेण धाइ गज्जन्ति पगुलुगुलन्ति एत्त विणलेण विरुद्धएण आयामेंवि महिहर - विज्ज मुक्क तं माया - सायरु दरमलेवि
से समुह वे वि जं आणिय तेहि' मि' पवरं पसाहेंवि कण्णउ सच्चसिरी कमलच्छि विसाला पश्च वि कण्णं देवि कुमारहों एक स्यणि ग कह वि विहाणउ साणु पत्तु सुवेलु महीहरु धाइ जिह· गइन्दु ओरालेवि भिडइ ण भिडइ रणङ्गणे जावेंहिँ
'एऍहिँ समाणु जुज्झन्तहँ पडु पाऍहिँ राहवचन्दहों
लु उप्पर 'डीणु समुद्दहों विहि वेणि मिमण्ड धरेप्पिणु
सुन्दरकाण्डं छप्पण्णासमो संधि
[१२] १ उडित्वा
[१२]
विजाहर वेण्णि वि णल- समुद्द ॥ १ अहं असे सेंहिँ आउहिँ ॥ २ रतुप्पल-दल-सीरिच्छ-णयण ॥ ३ मेलिय मयरहरी विज तेण ॥ ४ वेला कल्लोलुलोल देन्ति ॥ ५ समरङ्गणें जयसिरि-लुद्धएण ॥ ६ जलु सयलु वि पडिपूरन्ति ढुक्क ॥ ७ विज्जाहर - करणें उल्ललेवि ॥ ८
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॥ धत्ता ॥
णी वि सेउ' सिर-कमलें । घल्लिय रामहों पय-जुअलें ॥ ९ [१३]
ल-णीहि समाणु सम्माणिय ॥ १ तहों लक्खणहों स-हत्यें दिर्पण ॥ २ अण्ण वि रयणचूल गुणमाला ॥ ३ थिय पाइक सीय भत्तारहों ॥ ४ पुणु रुणुग्गमें दिण्णु पयाणउ ॥ ५ तहि" मि सुवेल वर विज्जाहरु || ६ भीसणु करें धणुहरु अप्फालेवि ॥ ७ सेउ-संमुद्देहिँ वारिउ तावेंहिँ ॥ ८
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॥ घत्ता ॥
[ २८५
जेई पर जणवऍ जम्पर्णं । मं मारावहि अप्पर्ण ॥ ९
12. 1 P विसेसहिं, 8 विसेसहि. 2Ps ° संकास° 3 A गजंगुलुगुलुंति. 4 P ° लोलु, 8 लोल 5 Ps सेयहो सिरि कमले.
13. 1 Ps सेय°. 2 PA तेहिं, s तेहि 3 Ps वि. 4 A परम. 5 A कण्णउं. 6 Ps दिण्णउं. 7Ps अण्णु. 8 A विहाणउं 94 पयाणउं. 10 Ps तहि वि, 4 तहिं मि. 11 p s णा, A नवर. 12PS सेयसमुद्दे. 13 P जुज्झतहो, 8 जुज्अंतहु. 14 Ps जे. 15 A जंपणउ.
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अप्पाड, A अप्पणउं.
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