Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
२८२ ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
क०६, १-९, ७, १-९
अण्णेकेत्तहें अण्णेक वीर गजन्ति समर-संघट्ट-धीर ॥१ एक्केण वुत्तु 'सोसमि समुद्दु' अण्णेकु भणइ 'महु णिसियरिन्दु' ॥२
अण्णेक्कु भणइ 'हउँ धरमि सेण्णु अण्णेक्कु भणइ महु कुम्भयण्णु' ॥३ 5 अण्णेक्कु भणइ 'महु मेहणा' अण्णेक्कु भणइ 'महु भड-जिहाउ' ॥४
अण्णेक भणइ 'भो णिसुणि मित्त हउँ वलहों स-हत्थें देमि कन्त ॥५ अण्णेक्कु भणइ 'किं गजिएण अज वि रागाम-विवजिएण ।। ६ सयलु वि जाणिज्जइ तहिँ जि काले पर-वले ओवडियऍ सामि-सालें ॥७ अण्णेक्कु वीरु णिय-मणे विसण्णु 'मइँ सामिहें अवसरे काइँ दिण्णु' ॥८
॥ घत्ता ॥ अण्णेक्कु सुहडु ओवग्गइ अग्गएँ थाऍवि हलहरहों। 'जं वूढउ मइँ सिरु खन्धेण तं होसइ पहु अवसरहों' ॥९
अण्णेक्के पासें सुविसालियाउ 15 पण्णत्ती वहुव-विरूविणी
सामुद्दी रुद्दी केसवी वम्भाणी रउरव-दारुणी
चन्दी सूरी वइसाणरी ? हरिणी वाराहि तुरङ्गमी पवइ मयरद्धय-रूविणी
विजउ विजाहर-पालियाउ ॥१ वेयाली णहयल-गामिणी ॥२ थम्भणियाकरिसणि मोहणी ॥ ३ भुवइन्दी खन्दी वासवी ॥ ४ णेरित्ती वाय-वारुणी ॥ ५ . मायङ्गि मयन्दी वाणरी ॥६ वल-सोसणि गरुड-विहङ्गमी ॥ ७
आसाल-विज वहु-रूविणी ॥८ ॥ घत्ता ॥
रामहाँ सुग्गीवहाँ तणउ। .. लङ्कादीवहाँ पाहुणउ ॥ ९
सग्णडु असेसु वि साहणु णं जम्बूदीउ पयट्टउ
6. 1PS अण्णेक्क. 2 PS गजंत. 3 P. omits these padas. 4 PS तहि मि. 5A परिवलि. 6 P अवसरु. 7 A अच्छाए. 8 P S खधि.
7. 1 PS अण्णेक्क. 2 P वहुरूवणी वे वि corrected as वहुरूवणीय वे वि, S वहुरूविणी वे वि. 3 PS चेयाल्ली. 4 F S थंभणिआ°. 5 A वेसवी. 6 P S 'रुदाणी. 7 P S णेरुत्ती, A नेरित्ती. 8 P 9 वारुणवायवी. 9 PS हरणी वाराही- 10 P S पव्वय. 11 A मइरद्धी. 12 P S आसाली विज (g० ज ) विउरूविणी. 13 A तणउं, 14 A पाहणउं.
[६] १ गर्जति. २ वाहितं धृतं वा. [७] १ (P.' s reading ) विकुर्वणाकारिणी.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370