Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 310
________________ कं० १०, ४–१०, ११, १–१० ] _ उ केण आँइ हि पहिलउ वेत्तासण - अणुमाणें वीre झल्लर - रुवागारें तइयउ भुवणु मुरव - अणुमाणें मोक्खु विविनरिय-छत्तायारें इय चउदह-रज्जुऍहिँ णिवद्धर मझें असे तं कणु प धरियर घरें वर्सेवि 'चिलिविलें देह - रावण सीतुहुँ अ अ सयल-भुवण- संतावण माणुस - देहु होइ घण-विठ्ठलु चलु कु-जन्तु मायमउं कुहेर अंगन्धि रुहिरामिस-भण्डउ अन्तहँ पोइल पक्खिहिँ भोयणु आयएहिँ कलुसिउ जहिँ अङ्गउ सुण सुण्णहरु व दुप्पेच्छउ stay गण्डों अणुहरमाणैउ एहूएँ असु सीवर तो वि" सुन्दरकाण्ड - चउवण्णासो संधि [ २६९ अच्छइ सयलु वि' जीवहँ भरियउ ॥ ४ थियर्ड सत्त-रज्जुअ- परिमाणें ॥ ५ थियउ एक-रज्जुव-वित्थारें ॥ ६ थियउ पञ्च-रज्जुअ- परिमाणें ॥ ७ थियउ एक-रज्जुअ- वित्थारें ॥ ८ तिहुअणु तिहिँ पवणेंहिँ उट्ठद्ध ॥ ९ Jain Education International ॥ घत्ता ॥ जलु थलु णयण कडक्खियउ । जंण वि" जीवें भक्खियउ ॥ १० [११] खणें भङ्गुरऍ असारें । जिह मण्डल कयारें ॥ १ असुँइत्ताणुवेक्ख सुणि रावण ॥ २ 'सिरेराह णिवद्ध हड्डहँ पोट्टलु ॥ ३ मलहों पुञ्ज किमि - कीड हुँ मूडउ ॥ ४ चम्म रुक्खु दुग्गन्ध-करण्डउ ॥ ५ वाहिहिं भवणु मसाणहाँ भायणु ॥ ६ कवणु पसु सरीरहों च ॥ ७ कडिय पच्छाहर - सारिच्छउ ॥ ८ सिरु णालियर-करङ्क-समार्णं ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ अ लङ्काहिव भुवण - रवि । हैंउ विरक्तीभाउ ण वि ॥ १० 4PS अणाइ 5Ps सयलहं. 6A थियउं. 7 P एक्कु, s illegible 8 sA एक्कु. 9A उ. 10 Ps जन्न वि. 11. 1 Ps असुइ. 2Ps चिलिव्विलि, A चिल्विलि. 3 A असुहत्तां 48 कीडहु, A कीड. 5 Ps पूइगंध. 6 P आयहु कलुसियओ जिहि, 8 आयहिं कलुसियउ जहि . 7 Ps अण्णु इ, A सुन्नउं. 8 A अणुहरमाणउं. 9A समाउं. 10 Ps सीय हो. '11 Ps इ. 12PS हूइ. [११] १ नसाभिः २ कुत्सित-मांस-पिण्डः ३ एतानि पूर्वोक्तैः कलुषितोऽङ्गाः ४ अन्यदपि शून्यगृहमिव भयाणीन)कः. ५ वेढाकारः ६ गण्डवालः व्रणः, [ तद् ]वत्. · For Private & Personal Use Only 5 10 15 20 www.jainelibrary.org

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