Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
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२६८ ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० ८ ८.१०,९,१-१०, १५, १-३ अण्णहिँ तुरय महग्गय रहवर अण्णहिँ आण-पडिच्छा णरयर ॥८ एहऍ अण्ण-भवन्तर-वन्तरे अत्थ-विडाविडे होइ खणन्तरे ॥ ९
॥ घत्ता ॥ जणु कज्जवसेण मुह-रसियउ पिय-जम्पणउ । जिण-धम्मु मुएवि जीवों को वि ण अप्पंण ॥ १०
[९] चउ-गइ-सायरे दुह-पउरें जम्मण-मरण-रउदें।
'अप्पहि सिय म गाहु करि मं पडि णरय-समुद्दे ॥१ भो भुवण-भयङ्कर दुण्णिरिक्ख सुणु चउगइ संसाराणुवेक्ख ॥२ जल-थल-पायाल-णहङ्गणेहिँ सुर-णरय-तिरिय-मणुअत्तणेहिँ॥ ३ 10 णर-णारि-णपुंसर्य-रूवएहिँ विस-मेसेंहिँ महिस-पसूअएहिँ ॥४
मायङ्ग-तुरङ्ग-विहङ्गमेहिँ पञ्चाणण-मोर-भुअङ्गमेहँ ॥५ किमि-कीड-पयङ्गेन्दिन्दिरेहिँ विस-वईस-गइन्दें' (?) मञ्जरेहिँ ॥ ६ हम्मन्तु हणन्तु मरन्तु जन्तु कलुणइँ रुअन्तु खज्जन्तु खन्तु ॥७
गेण्हन्तु मुअन्तु कलेवराई अणुहवइ जीउ पावहों फलाइँ॥८ । घरिणी वि माय माया वि घरिणि भइणी विधीय धीया वि भइणि ॥ ९ पुत्तो वि वप्पु वप्पो वि पुत्तु सत्तो वि मित्तु मित्तो वि सत्तु ॥ १०
॥ घत्ता ॥ एहएँ संसार
रावण सोक्खु कहिं तणउ । अप्पिजउ सीय
सीलु म खण्डहि अप्पणउ ॥११
[१०] चउदह रज्जुय दहवयर्ण भुञ्जवि सोक्ख-सयाइँ।
तो इण हुइय तित्ति तर अप्पहि सीय ण काइँ॥१ अहाँ सुर-समर-सऍहिँ सवडम्मुह तइलोक्काणुवेक्ख सुणि दहमुह ॥२ जं तं णिरवसेसु आयासु वि तिवणु मज्झै परिहिउ तासु वि॥३ 9 Ps महागय. 10 Ps °वडिच्छा. 11 PS भवंतरे, अंतरे. 12 Ps 'विडाविडि. 13 A जंपणउं. 14 A मप्पणउं.
. 1PS पवरि. 2 PS रावण अप्पहि सीय तह. 3 PS मा पड. 4 Ps समुहि, A रउद्दे. 5A नपुंसकरूवेहिं. 6 P °वेस'. 7 PS गयंदें, A रायमंदिंदिरेहिं. 8 P. reads संवरसरहरिच्छगोहरिणेहिं and s. reads सम्बरसरहहरिच्छहि हरिणेहि extra after 6. line. 9 A वहिणि. 10 P तण, SA तणउं. 11 A अप्पणलं.
10. 1 P. adds & marginally after °वयण. 2 Ps सुक्ख', सोक्खु. 3 Ps सणु.
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