Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
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२६६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०५,२-१०;६, १-१. पर-धणु पर-दारु मज्ज-वसणु आयरइ को वि जो मूढ-म ॥२ तुहुँ 'घइ सयलागम-कलं-कुसलु मुणि-सुबय-चलण-कमल-भसलु ॥ ३ जाणन्तु ण अप्पहि जणय-सुअ अद्धव-अणुवेक्ख काइँ ण सुअ ॥ ४
को कासु सबु माया-तिमिरु जल-विन्दु जेम जीविउ अ-थिरु ॥५ । सम्पत्ति समुद्द-तरङ्ग-णिह 'सिय चञ्चल विज्जुल-लेह जिह ॥ ६
जोवणु गिरि-णइ-पवाह-सरिसु पेम्मु वि सुविणय-दंसण-सरिसु ॥ ७ धणु सुर-धणु-रिद्धिहें अणुहरइ खणे होइ खणखें ओसरइ ॥ ८ झिज्जइ सरीरु आउसु गलइ जिह गउ जल-णिवहु ण संभवइ ॥९
|| घत्ता ॥ घर परियणु रज्जु सम्पय जीविउ सिय पवर । एयइँ अ-थिराइँ एक्कु मुएप्पिणु धम्मु पर ॥ १०
[६] . 'रावण अ-सरणु सम्भरेवि पट्ठवि रामों सीय ।
णं तो सम्पइ सय सुय पइँ तम्बारहों णीय ॥१ 15 अहाँ केकसि-रयणासवहाँ सुय असरण-अणुवेक्ख काइ ण सुय ॥२
जावेहि जीवहाँ ढुक्कइ मरणु ताहिँ जगें णाहिँ को वि सरणु ॥ ३ रक्खिजइ जइ वि भयङ्करेंहिँ। असि-लउडि-विहत्थेंहिँ किङ्करेंहिँ ॥ ४ . मायङ्ग-तुरङ्गम-सन्दणेहिँ कमलासण-रुद्द-जणदणेंहिँ ॥५ जम-वरुण-कुवेर-पुरन्दरोहिँ
गण-जक्ख-महोरग-किण्णरहिं ॥६ 20 पइसरइ जइ वि पायालयले गिरि-गुहिले हुआसणे उवहि-जलें ॥७ रणे वणे तिणे णहयले सुर-भवणे रयणप्पहाइ-दुग्गई-गमणे ॥ ८ मञ्जूस-कूवें घर-पञ्जरऍ कड्डिजइ तो वि खणन्तरऍ ॥९
॥ घत्ता ॥ तहिँ असरण-कालें जीवहाँ अण्ण ण का वि धर । पर रक्खइ एकु
अहिंसा-लक्खणु धम्मु पर ॥ १० 5 A. omits. 6 P. घइ पुणु, S सइ पुणु, A प्पइ. 7 Ps omit. 8 P °विंदुव जेम जीउ. 9 A सिविणा.
6. 1 जणय' corrected as सयल, S जणय'. 2 A कइसिरयणासयहो. 3 PS णस्थि कोइ. 4 P पइं सरइ वि जइ, s पइसरइ वि जइ. 5 P तणि, तणे. 6 P S °भुवणे. 7 s दुग्गग्गमणे. 8 P S कूवि, कुए. 9 Ps को [५] १ सांप्रतं. २ श्रीः लक्ष्मी च. [६] १ ब्रह्मा.
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