Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
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२६४ सयम्भुकिउ पउमचरिउ
क० १,१३,२,१-०,३,५
॥ घत्ता ॥ तं वयणु सुणेवि णीलुप्पैलइँ व डोल्लिय। सीयहें णयणाइँ विण्णि मि अंसु-जलोल्लियइँ ॥ १३
[२] . . ' 'जं जसु दिणउ अण्ण-भवें जीवहाँ कहि मि पियासु ।
तासु कि णासवि सक्कियइ कम्मों पुव-कियासु ॥१ पुणु रुवइ स-दुक्खउ जणय-सुअ मालइ-माला-सारिच्छ-भुअ॥२ 'खल खुद्द पिसुण हय दड्ड विहि पूरन्तु मणोरह होउ दिहि ॥ ३ दसरह-कुडुम्बुजं छत्तरिउ वैलि जिह दस-दिसिहिँ पविक्खिरिउ ॥४ ॥ अण्णहिँ हउँ अण्णहिँ दासरहि अण्णहिँ लक्खणु अन्तरें उवहि ॥ ५ एहऍ वि कालें वैसणावडिऍ वहु-इट्ठ-विओय-सोय-भरिऍ॥६ जो किरै णिव्बूढ-महाहवहाँ सन्देसउ णेसइ राहवहाँ ॥७ पैइँ समरें सो वि वन्धावियउ वलहद्दों पासु ण पावियउ ॥ ८ अहवाइ किं तुहु मि करहि छलइँ एयइँ दुक्किय-कम्मों फलइँ' ॥९
॥ घत्ता॥ अकुसल-वयणेहिँ सीय वि लङ्कासुन्दरि वि। णं' रवि-किरणेहिँ तप्पइ जउण वि सुर-सरि वि ॥ १०
[३] 'मारुइ-णन्दण भणमि पइँ कुल-वल-जाइ-विहीण। . " तावस जे फल-भोयणा ते पइँ सेविय दीण' ॥१ एत्तहें वि सुहड-पञ्चाणणहाँ णिउ मारुइ पासु दसणणहों ॥२ वईसारेंवि कज्जालाव किय 'हे सुन्दर काइँ दु-बुद्धि थिय ॥३ नगाउ कुसलत्तणु सिक्खियउ अह उत्तमु कुलु ण परिक्खियउ ॥४ सुर-डामरु रावणु मुऍवि मइँ परियरिउ वरायउ रामु पइँ॥५
13 PS A °लुप्पलइ.
2. 1. p s read this stanza with stail prefixed in the beginning of the next Kadavaka. 2 P दिनउ, A दिण्णउं. 3 A नासण सक्कियइं. 4 A किरि निम्बूदु. 5s सो वि समरे. 6 P S तुहु काइ करहि, A तुहुँ मि. 7 A. omits णं रवि..
3. 1P SA read this stanza at the beginning of the next Kadavaka. s reads it here also. 2 P S तावस वणफलभोयणई (s इ). 3 Ps पइसारित 4 P S भहो. 5 PS अणुसरिउ. . [:] १ विस्तारितः अंतरितः वा (१). २ व(ब)लि-दत्तं दश-दिशायाः. ३ आरत्पतिते सति. ४ हे विधि त्वया,
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