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४८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० १०, १२, ११, १-९,१२,१-७
॥ घत्ता ॥ एक्कु स-लक्खणु . लक्खिजइ जणेण असेसें । अण्णेकु वि पुणु पच्छण्ण णारि णर-वेसें ॥ १२
[११] । देणु-दुग्गाह-गाह-अवगाहें पुणु पुणरुत्तहिँ कुबर-णाहें ॥ १ णयण-कडक्खिउ लक्खण-सरवर जो सुर-सुन्दरि-णलिणि-सुहङ्करु ॥२. जो कत्थूरिय-पङ्कुप्पङ्किउ जो अरि-करिहिँ ण डोहेवि सक्किउ ॥ ३ जो सुर-सउँण-सहासेंहिँ मण्डिउ जो कामिणि-थण-चक्केंहिँ चड्डिउ ॥४
तहिँ तेहऍ सरे सेय-जलोल्डि लक्खण-वयण-कमलु पप्फुल्लिउ ॥५. 10 कण्ठ-मणोहर-दीहर-णालउ वर-रोमञ्च-कञ्च-कण्टालउ ॥६
दसण-सकेसरु अहर-महादलु वय-मयरेन्दउ कण्णावत्तलु । ७ . लोयण-फुलन्धुय-परिचुम्बिउ कुडिल-वाल-सेवाल-करम्विउ ॥ ८
॥घत्ता
॥
लक्खण-सरवरु हउ भुक्ख-महाहिम-वाएं। तं मुह-पङ्कउ लक्खिजइ कुबर-राएं ॥९
[१२] जं मुह-कमलु दिट्ट ओहुल्लिउँ वालिखिल्ल-तणएण पोलिउँ ॥१ 'हे णरणाह-शाह भुवणाहिव भोयणु भुञ्जहुँ सु-कलत्तं पिव ॥२ .
स-गुलु स-लोणउ सरसु स-इच्छउ महुरु सुअन्धु स-णेहु सु-पच्छउ ॥३ 20 तं भुजेप्पिणु पढम-पियासणु पच्छले किं पि करहु संभासणु' ॥४ तं णिसुणेवि पजम्पिउ लक्खणु ___अमर-वरङ्गण-णयण-कडक्खणु ॥ ५ 'उहु जो दीसइ रुक्खु रचण्णउ पत्तल-वहल-डाल-संछण्णउ ॥ ६ । आयहाँ विउले मूलें दणु-दारउ अच्छइ सामिसालु अम्हारउ' ॥ ७
11. 1 P S °दुगगह. 25 °करेहि. 3 A °सवण. 4 5 °चं डिउ, A °चडिउ. 5 PS 'जलोलिउ. 6 PS 'कमल'. 7 P S रोमंचु. 8 A °उच्चकंटोलउ. 9 PS दसणु. 10 P3 अहरु. 11 P S A 'मयरंदिउ. 12 A कण्णउवत्तलु. 13 P फुलंधुय.
12. 1 Ps दि. 2 P उहलिउ, S ओहल्लिउ. 3 P पवोल्लिउं, 4 P भुंजहुं, A भुंजह. 5 P सगुणु corrected to सगुलु. 6P S A सलोणउं. 7 P S सइच्छउ. 8 PS °वरंगणे. 9 PS एहु. 10 P S रवण, A रवणउं. 11 PSA संछण्णउं. .
[११] १ दानवा एव दुष्टग्रहा षामपि यो ग्राहो लक्ष्मणतनावगाह आग्रहो यस्य. २ खगुणैः. ३ प्रखेदः, ४ वचनानि. ५ प्रत्र(?)भ्रमरी.
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