Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
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15.
२३८] सयम्भुकिङ पउमचरिउ तं सुवि वि संचल्लिउ र भत्तुं लहु लेविणु आयउ ड्ड भोयणु भोयण-सेजऍ सक्कर- खण्डेंहिँ पायर्स -पयसेंहिं मण्डा - सोयवत्ति घिऊरेंहिँ सालणऍहिँ बहु" - विविह-विचित्तेंहिँ अल्लय-पिप्पलि-मिरियामलऍहिँ चिभिडिया - कचोर" - वासुत्तेंहिँ केल - पालिकेर-जम्बीरें हिं तिम्मणेहिं णाणाविह-वणेंहिँ अण्णु मि खण्ड सोल-गुडसोल्लेंहिं विञ्जणेहिं स-महिय-दहि-खीरेंहिँ
णं सुरसरि-जउ उ उत्थलि। २ णं सरसई - लच्छिउ विक्खाय ॥ ३ अच्छऍ पच्छऍ लेव्हऍ पेज्जऍ ॥ ४ लड्डूर्व- लावण- गुड - इक्खुरसेहिं ॥ ५ मुग्ग- सूअ- णाणाविह कूरेंहिं ॥ ६ माइणि-मायन्देहिँ विचित्तेंहिं ॥ ७ लावण-मालूरेंहिँ कोमलऍहिँ ॥ ८ पेड-पप्प डेहिँ सु-पहुतेंहिं ॥ ९ करमर- करवन्देहिं करीरेंहिँ ॥ १० सीडिव - भज्जिय खड्डावण्णेहिं ॥ ११ वडवाइङ्गणेहिँ कारेलेंहिँ ॥ १२ सिहरिणि धूमवत्ति-सोवीरेंहि ॥ १३
॥ घत्ता ॥
अच्छउ ऐंड (?) मुहरसिडें अवियहउ उल्हावउ किह । जहिं जें लइर्जइ तहिं जें तहिँ गुलियारउ जिणवर वयणु जिह ॥ १४
[ ० ११, २- १४, १२, १-५
[१२]
तं तेहउ भुञ्जेवि भोर्यणउ पुंणु करेंवि वयण- पक्खालणड़ | समलहेंवि अङ्गु वर-चन्दर्णेण विण्णत्त देवि मरु - णन्दण ॥ १ 'चडु महु तणऍ खन्धे परमेसरि णेमि तेत्थु जहिँ राहव - केसरि ॥ २ मिलों वे वि पूरन्तु मणोरह फिर जणवऍ रामायण कहँ' ॥ ३ तं सुवि देवि गञ्जोल्लिय साहुकारु करन्ति पवोल्लिय ॥ ४ 'सुन्दर यि-घरु गयँ-गुण- बहुअ (?) एह ण णित्ति होइ कुल बहुअ ॥ ५
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3s A. omit. 4 P 'जउणा, s जौणा. 5 P एक्क, S एकु. 6 Ps सुरसरि, A सुरसइ corrected as सरसइ. 7 A पायसेहिं. 84 लड्डय 9 Ps° गुल. 10 Ps विवरणविचित्तिहि. 11Ps ° कठोर ° 12P पेउव° corrected as पेउभ, s पेउव. 13 A केलसु णालिकेर, P 'णारिकेल. 14 Ps साडव 15 Ps चूयवत्ति° 16 P. marginally पत्थउ पाठे, s एवउ with a deleted, A. omits. 16 P°रसिउं. 17 P अविभण्हर्ड, s अविrves, 4 अवियण्हउं 18 P उल्हावणउं, A उण्हावणउं. 19 लहि जई, 8 लिहिज्जइ.
12. 1 PA भोयणउं. 2 P किउ तावहि हत्थासोयणउं, the last word glossed as हस्तसोधन प्रक्षालनेत्यर्थः; 8 कि तावहि अच्छा and the rest of the letters wiped out. 3Ps सहल देवि, and P. marginally 'मिलहु वे वि' पाठे. 4 Ps: 28 मद्दहि गइहि, A सुंदरि .
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[११] १ परोसितः २ सूक्ष्मः ३ वघारितानि, ४ कांजिकैः,
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