Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 281
________________ २४० सयम्भुकिउ पउमचरिउ [2०१, १-९,३, [१] ॥दुर्वई॥ विहुणेवि वाहु-दण्ड परिचिन्तइ रिउ-जयलच्छि-मद्दो । 'ताम ण जामि अज्जु जाम ण रोसाविउ मइँ दसाणणो ॥१ वणु भञ्जमि रसमसकसमसन्तु महिवीढ-गाईं 'विरसोरसन्तु ॥२ 5 गायउल-विउल-चुम्भल-वलन्तु रुक्खुक्खय-खर-खोणिऍ खलन्तु ॥ ३ णीसेस-दियन्तर-परिमलंन्तु कङ्केल्लि-वेल्लि-लवली-ललन्तु ॥४ तुङ्गङ्ग-भिङ्ग-गुमुगुमुगुमन्तु तरु-लग्ग भग्ग-दुमुदुमुदुमन्तु (2)॥ ५ एला-ककोलंय-कडयडन्तु वड-विडव-ताड-तडतडतडन्तु ॥ ६ करमर-करीर-करकरयरन्तु आसत्थीगत्थिय-थरहरन्तु ॥ ७ " मड्डड्ड"-मड्ड सय-खण्ड जन्तु सत्तच्छय-कुसुमामोय दिन्तु ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ उम्मूलन्तु असेस तर एक मुहुत्तु एत्थु परिसक्कमि । जोवणु जेम विलासिणिहें वणु दरमलमि अजु जिह सक्कमि' ॥९ [२] 15 ॥दुवई। पुणरवि वारवार परिअञ्चेवि णियर्य-मणेण सुन्दरो। णन्दण-वणे पइट्ठ णं माणस-सरवर अमर-कुञ्जरो ॥ १ णवरि उववणालए तेत्थु णिज्झाइयासोग-णारङ्ग-पुण्णाग-णागा लवङ्गा पियङ्क-विडङ्गा समुत्तुङ्ग सत्तच्छया ॥२ करमर-करवन्द-रत्तन्दणा दाडिमी-देवदारू-हलिद्दी-भुआ दक्ख-रुद्दक्ख-पउ20 मक्ख-अइमुत्तया ॥३ तर तरल-तमाल-तालेल-ककोल-साला विसालञ्जणा वञ्जुला णिम्व-सिन्दीउ सिन्दूर-मन्दार-कुन्देद-सज्जज्जुणा ॥४ 2 Ps omit. 3 Ps °माणणो. 4 P S रोसाविउ जाम ण. 5 A. reads ध्रुवकं at the end of this stanza. 6 A महिगाढवेदि. 7 PS णाइ. 8 P s चोंभल चलंतु. 9 P°करु, s 'खरु. 10 S A परिमिलंतु. 11 After the 4. line, Ps read the following extra Pada: अण्ण(s पणो)ण्णफुल्लगों(गुं)च्छुच्छलन्तु. 12 PS तुंगुंग'. 13 P S तरलग्ग glossed as आलग्न भग्नः(?). 14 PS °कंकोलय. 15 PS करकर करंतु. 16 P असरथेगस्थिय, मसत्थें गंथे, A भासत्थत्थिय. 17 P महुद्दमदु. 2. 1 P परिचिंतेवि, S परिचिंतिवि, A परिचिवि. 2 P णियमणे हणुवु सुंदरो, णियमणि हणुवु सुंदरो. 3 P S णवर. 4 s तित्थु, A तत्थ. 5 A omits this. 6 P 8 °करमंद. 7 A दालिमी'. 8 P 'देवदारु. 9 Ps 'रुदक्खपोमक्ख'. 10A °एयतया. 11. P कुदेंदु सजणा, s कुंदेंदु सजणा. [१] १ अनिष्ठं सर्वशब्दं च कर्वन. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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