Book Title: Patli Putra ka Itihas Author(s): Suryamalla Maharaj Publisher: Shree Sangh View full book textPage 8
________________ (ख) देखनेसे स्पष्ट विदित होता है, कि लेखकने. अन्वेषण करनेमें सभी सम्प्रदायके अनेक ग्रन्थोंको भली भांति अवलोकन करके विषय चुननेका बहुत बड़ा प्रयास किया है। इस पुस्तकमें प्रधानतः जैन समाजके विषयमें तो सभी पति लिखी हुई हैं तथापि अन्य समाजके लिये भी यह पुस्तक अति उपकारी है कारण कि लेखक महोदयने अन्य समाजकी भी अनेक आवश्यकीय तथा छिपी हुई बातोंपर प्रकाश डाला है। पुस्तकके अन्त्यमें परनेका भौगोलिक विवरण तथा प्राकृतिक दृश्य वर्णन सर्वसाधारणके लिये लामदायक हैं। बल्कि पटने की यात्रा करनेवालोंके लिये तो यह पुस्तक डायरीका काम दे सकती है। इस पुस्तकके सहारे मनुष्य बिना किसीसे पछे ताछे आनायास पटनेके दर्शनीय स्थानों पर पहुंच सकते हैं। अस्तु यतिजी महोदयका इस प्रकार को पुस्तक लिखनेका उद्योग एवं परिश्रम प्रशंसनीय, अनुकरणीय तथा श्लाघनीय है। कि मधिक विषु। माघ कृ० १४१ पाण्डेय जयनारायण शर्मा का व्या० तीर्थ सं० १६८ . . . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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