Book Title: Patli Putra ka Itihas
Author(s): Suryamalla Maharaj
Publisher: Shree Sangh

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Page 60
________________ ( ४४ ) बागमहल्ले में मशहूर हैं। यहां प्रत्येक वर्ष देश देशान्तरोंसे अनेक नर-नारी जैन यात्री दर्शनके लिये भाते हैं। इन मन्दिरी को निर्माण प्रणालीके देखनेसे उनकी प्राचीनता साफ साफ जाहिर होती है। ये दोनों स्थान जिस प्रकार भव्य है, उसी प्रकार ज्ञान और उत्साहको बढ़ाने वाले हैं। इन स्थानोंके देखनेसे हृदयमें स्वभावता: एक अनिर्वचनीय भाव उत्पन्न होता है। यदि वह भावस दाके लिये स्थिर रह जाये, तो फिर क्या पूछना मनुष्य वास्तविक मनुष्य हो जाये। इतिहास प्रेमियों के लिये ये दोनों स्थान जैन-इतिहासकी बहुमूल्य सामग्री हो जाती है। इनके अतिरिक्त डंका कूचा बाडेकी गली आदि महल्लों में जैनियोंके अनेक देवालय तथा चैत्यालय हैं, जो इस समय छिन्न भिन्न तथा मलिन दशामें पड़े हैं। श्री बडी पटन देवीजी और छोटी पटन देवी ये दोनों स्थान भी बहुत प्राचीन तथा हिंदुओंके परम पूज्य तथा आराध्य है। इनकी बनावट से भी प्राचीनता टपकती रहती है। एक चौकसे कुछ पूर्व स्वनाम-विख्यात महल्ले में है और दूसरा महाराज गञ्ज नामक महल्ले में है। . श्रीकाली मंदिर-यह स्थान छोटी पटनदेवीके समीप है। यह स्थान कितना प्रावोन है, यह कहा नहीं जा सकता किंतु परम सिद्ध तथा रमणीक है। श्री गोपीनाथजीका मंदिर- यह स्थान भी बहुत प्राचीन और मन्य है, किन्तु उसकी प्रतिमा प्राचीन नहीं है। बीचमें कमी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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