Book Title: Patli Putra ka Itihas
Author(s): Suryamalla Maharaj
Publisher: Shree Sangh

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Page 64
________________ ( ४८ ) मुसलमान फकीरों में अन्तिम सिद्ध फकीर टिकिया साईमा उसकी प्रसिद्धी बहुत है अपने तपोवलसे इस फकीरने ऐसे-ऐसे आश्चर्यजनक कार्यकर दिखाये जिनकी चर्चा भाज दिन भी पटमा. निवासी बराबर कियाकरते हैं। इस फकीरको हुए अभी बहुत दिन नहीं हुए हैं—अन्दाज एक सौ वर्षके लगभग हुए है। ___ अगरेजी सम्राज्य–'गोल-घर' यह पटनेकी पश्चिमी सीमाके अन्तमें अवस्थित है। इसकी उंचाई, मोटाई, तथा परिधि बहुत ही अधिक है और देखने योग्य है। यह सन् १७८४ ई० में अकाल-निवारणके लिये इस्ट इण्डिया कम्पनीके द्वारा निर्माण कराया गया था। इसके अतिरिक सन् १८५७ ई० के सिपाही विद्रोहमें आहत अङ्गरेजोंका स्मारक (कब्रस्तान) है, जो आज भी गिरजाके मामसे प्रसिद्ध है। __ आधुनिक दृश्यों में हाईकोर्ट तथा लाट साहबका निवासस्थान अत्यन्त मनोरम और दर्शनीय स्थित है। इस प्रकार जैन शासम-कालसे अबतक प्रत्येक जाति, धर्म और समाजके स्मारक चिन्होंसे अलंकृत एवं विभूषित पाना-नगर मनुष्य मात्रका गौरव स्थान है। मतएष मनुष्य मात्रका कत्तय है, कि सर्व तो भावसे अपनी स्मृतियोंको इतिहासके एक बड़े भारी अंशको नष्ट होनेसे बचाकर सुरक्षित रखें तथा पटनेको पवित्र तीर्थस्थान समझकर समय-समयपर यथा बोग्य सहायता प्रदान करके धार्मिक एवं आर्थिक विषयों में उन्नतिकी भोर अप्रसर करना चाहिये। इतिशम् । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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