Book Title: Patli Putra ka Itihas
Author(s): Suryamalla Maharaj
Publisher: Shree Sangh

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Page 18
________________ लिक ( २ ) उद्यानों, विमानोपमीय देवमन्दिरों तथा चैत्यालयोंसे विभूषित इन्द्रपुरी अमरावती एवं कुबेरपुरी अलका को भी मात कर रहा था। ___ यहाँके निवासी रोग-शोक, दुःख-दारिद्य्, भय और वाघासे रहित थे एवं सदा लोकातिशायी-स्वर्गीय सुखोंका उपभोग करते थे। इसी नगरमें ब्रह्मचारी कुलावतंश अतिधारा-व्रत-पालक महात्मा स्वामी स्थूल भद्रजीका जन्म तथा महामान्य सुदर्शन सेठको केवल ज्ञान प्राप्त हुआ था। अतएव यह नगर जैनियोंके लिये परम पवित्र तीर्थ स्थान हैं ही; किन्तु जैनेतर वैदिक बौद्ध, सिक्ख आदि अन्यान्य सम्प्रदायवालोंका भी प्रधान धर्म स्थान है । क्योंकि कोई ऐसा धर्म या सम्प्रदाय नहीं हैं जिसका प्रचार यहाँ किसी दिन चरम सीमा तक न पहुँचा हो और न कोई ऐसा समाज ही है, जिसमें जाति-हितैषी, पारदर्शी, तत्व. ज्ञानी, सिद्ध पुरुषोंका आविर्भाव न हुआ हो। यही कारण है, कि प्रत्येक सम्प्रदायके ग्रन्थोंमें इस महानगरके बिषयमें प्रचुर उल्लेख मिलते हैं। सभी समाजके विद्वानों ने इस नगरकी वर्णनामें कलम उठायी और अपने जन्म तथा पाण्डित्यको सफल बनाया है। सुदूर प्राचीन कालमें यह नगर कुसुमपुर, पुष्पपुर और पाटलिपुत्रके नामसे विख्यात था; किन्तु इस समय केवल 'पाटलिपुत्र' या 'पटना' के नामसे ही प्रसिद्ध है। कोई कोई कहते हैं, कि मुसलमानोंके शासन कालमें इसका नाम अजिमाबाद.भी था, किन्तु इर.का विशेष प्रमाण नहीं मिलता। अतएक.. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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