Book Title: Patli Putra ka Itihas
Author(s): Suryamalla Maharaj
Publisher: Shree Sangh

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Page 42
________________ ( २६ ) और मारे घबराहटके उसका हृदय कांपने लगा। इस समय राजाको कल्पक की उपयोगिता याद आयी। और वह उसके लिये व्याकुल हो उठा। वह बार-बार यही कहता, कि आज यदि कल्पक होता, तो राजधानीकी यह दुर्दशा कदापि नहीं होती। इसलिये भव भी उस अन्ध कूपमें देखना चाहिये,कि कल्पक जीता हैं या नहीं। ऐसा सोचकर राजाने नौकरोंको आज्ञा दी, कि जल्दी खबर लाओ कि कूपमें कल्पक जीता है या नहीं राजाकी आज्ञा पाकर (भृत्यों) नौकरोंने उस कुएमें प्रवेश कर कल्पकको बाहर निकाला। उस समय उसकी अवस्था बडी ही शोचनीय हो -रही थी। उसका सारा शरीर पीला पड़ गया था और हिलनेडोलने या चलने फिरनेकी भी उसमें शक्ति न थी; किन्तु उसे जोवित देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुए और पालकी में बैठा कर वह उसे किलेमें ले आये। उचित चिकित्सा तथा खान'पान का उपयुक्त प्रबन्ध करके शीघ्रही कल्पक को भला चुंगा बना लिया। अच्छे हो जानेपर कल्पक शत्रु राजाके मन्त्रीसे 'मिला और संकेतके द्वारा बात चीत की। यद्यपि शत्रुके मन्त्रिने कल्पकके भावको भलिभाँति न समझ सका तथापि उसकी तीव्र बुद्धि और तेज शक्तिके सामने ठहर न सकनेके कारण वह अपने राजाको राजा नन्दकी राजधानीसे लौटा लेगया ! कल्पककी बुद्धिके प्रभावसे विपक्षी राजाओंके चले जानेपर राजा नन्दने उस चाल बाज पुराने मन्त्रीको उचित शिक्षा देकर, निकाल दिया और कल्पकके ऊपर पूर्ववत पूज्यभाव रखने लगा। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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