Book Title: Patli Putra ka Itihas
Author(s): Suryamalla Maharaj
Publisher: Shree Sangh

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Page 11
________________ [ ६ ] जी पाण्डेय काव्य व्याकरण तीर्थ महोदयका मी अतिशय कृतज्ञ हूं और धन्यवाद देता हूं जिन्होंने अपना अमूल्य समय देकरतथा असोम परिश्रम उठाकर संशोधनादिके द्वारा इस पुस्त कको सर्वाङ्गसुन्दर बनाने में योगदान दिया है। पुनः सर्वतो भावेन श्रीसंघ पटनाको कोटिशः धन्यवाद देता हूं, जिसने इस पुस्तके प्रकाशित करने में अपना द्रव्य सदुपयोगमें व्यय करके पुण्योपार्जन किया है जो कि अन्यस्थानीय संघोंके अवश्यानुकरणीय है । मैं सेठ दापवन्दना श्रावक नया श्री बाबू बुधसिंहजो जोहरीको अनेक बार धन्यवाद देता ह और उनका विशेष आभारी इन महानुभावोंने ही इस पुस्तकके निर्माणमें प्रोत्साहन नथा प्रकाशनमें पूर्ण यत्न किया है बल्कि इनके ही विशेष आग्रहसे मैं इस पुस्तक लिखने में प्रयत्न शील हुआ हूं। इसके अतिरिक्त मैं उन मब महानुभावोंको हार्दिक धन्यवाद देता है जिनके द्वारा इस पुस्तक लिखने में मुझे किसी भा प्रकारका महाना प्राप्त हुई है। मंने अपना यथा बुद्धि पटनेके जानने योग्य प्राचीन तथा नवान ऐतिहामिक वृत्तान्त इस पुस्तकमें प्रायः संक्षेपमें अवश्य लिम्न दिये हैं तथामिविरक कठिन होने के कारण सम्भव है किम्बल विशेग्में जुटी रह गया होगो नया पूर्ण सावधानीसे मंशोधन करनेगर भी दृष्टि दोषसे कहीं कहीं भूलं रह गयी होंगी उन्हें पाठक क्षमा करेंगे एवं त्रुटियोंकी सूचना दे अनुगृहीत करेंगे जिससे द्वितीय संस्करणमें उनका सुधार दिया जाय । यदि मजन गण इस पुस्तकको भी पहिली पुस्तकोंके समान अपनायेंगे तो आशा है कि मप्रिय वर्णमें अन्य नवीन पुस्तक लेकर समाजके सम्मुख हपस्थित होऊंगा। सूर्यमल ति Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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