Book Title: Pathya Author(s): Punamchand Tansukh Vyas Publisher: Mithalal Vyas View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूमिका। H ARE स रोग्य वर्धक साधन और पथ्य की आवश्यकता र प्रत्येक व्यक्ति को रहती है, परन्तु यह जान कर दुःस्त्र होता है कि जनता का बहुत बड़ा समुदाय इस विषय में आजकल एक दम अजान है। अजान ही नहीं किन्तु ऐसे मिथ्या विचार भो उनके हृदय में जड़ जमा बैठे हैं जो उल्टे अपथ्य के रूप में शरीर को हानि पहुंचाते हैं। आजकल पथ्य और उसके नाम से व्यवहार किया जाता है वह लाभ के स्थान में हानि ही अधिक पहुंचाता है, यह अनेक बार अनेक स्थानों पर सिद्ध हो चुका है । लोग वास्तव में पथ्य की असली बातें जानते तो नहीं और जो कुछ मन में ठोक अँचा, वा परम्परा से सुन लिया, उसी को 'ठीक' पध्य मान बैठते हैं और फिर कष्ट उठाते हैं। प्रारोग्य रहने का लामा अाधार पथ्य ही पर है और बोमारी में तो इसकी उपकारिता और आवश्यकता और भी बढ़ जाती है पर इसका बराबर पालन न करने से अनेकों को अपने ही हाथो दुःख भुगतना पड़ता है। और चिकित्सा अच्छी होने पर भी कारगर नहीं होती। प्रायः देखा गया है कि लोग बीमार होने पर चिकित्सा के लिये सैकड़ों खच करते हैं, नामी २ वैद्यों को बुलाते हैं, और अच्छी से अच्छी दवा लेने का प्रबन्ध करते हैं, पर केवल योग्य पथ्य की कमी और उस पर पूरी आस्था न रखने से वे लास नहीं उठाते, और बहुत दिनों तक बीमार रहकर चिकित्सक के सारे प्रयत्नों को बिगाड़ देते हैं। वैद्य कितनी ही चिकित्सा करे, पर यदि रोगा For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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