Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir

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Page 5
________________ सोरया, पूज्य पिताश्री सिं. शिखरचन्द जैन सोरया, पूज्या माँ श्रीमती अशफाँदेवी, बहिन अंगूरी देवी एवं श्रद्धास्पद अग्रजन्नय डॉ. रमेशचन्द जैन (बिजनौर), डॉ. अशोक कुमार जैन ( लाइनूं). डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन (सवावद)। तीनों भाई संस्कृत, प्राकृत एवं जैन विद्या के अधिकारी विद्वान्, सुलेखक एवं ख्यातिप्राप्त प्रवक्ता हैं। जिनका वरद आशीर्वाद सदैव मेरे साथ रहा है। आज भी इनका पथप्रदर्शन मेरी उल्लेखनीय निधि हैं। इन सन्त्रको मैं प्रणाम करता हूँ तथा आशा करता हूँ कि भविष्य में भी आप सबका आशीर्वाद मेरे जीवन-पथ को कंटक रहित बनायेगा। प्रिय अनुज श्रीवीरेन्द्र कुमार जैन 'सोरंया (मड़ावरा) एवं सहधर्मिणी श्रीमती इन्द्रा जैन को भी उनके यथोचित सहयोग के लिए हार्दिक स्नेह से अभिसिंचित करता हूँ। प्रस्तुत कृषि प्रान किसी भी मौलिक कृति का प्रकाशन इस अर्थ युग में अत्यन्त दुष्कर होता है किन्तु जहाँ पूज्यपाद गुरुओं का आशीर्वाद सुलभ हो वहाँ कोई कार्य दुष्कर कैसे हो सकता है? इस बीसवीं शती में सुयोग से समाज को परमपूज्य आचार्य श्री शन्ति सागर जी महाराज, परमपूज्य महाकवि आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज. एवं परमपूज्य महाकवि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का प्रत्यक्ष/परोक्ष दिशा निर्देशन एवं प्रेरणात्मक आशीर्वाद प्राप्त होता रहा। परिणामत: श्रद्धा ज्ञान एवं चारित्र के त्रिवेणी प्रावाहित हुई । इन्हीं पूज्यात्माओं की परम्परा में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के सुशिष्य परमजिनधर्मप्रभावक, अध्यात्म प्रवक्ता, मूलाधार निर्देशित श्रमणसाधनारत, चारित्रपुंज परमपूज्य मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने प्रारम्भ से ही अपने सद्कर्मों व सद्प्रेरणाओं से समाज में यश तो अर्जित किया ही साथ ही जैन धर्म की प्रभावना में महनीय योगदान किया। शाकाहार क्रान्ति की योजना, तीर्थ संरक्षण और साहित्य लेखन इत्यादि अनेक क्षेत्र में वे सजग हैं। आपके संसर्ग में आने वाला व्यक्ति मंगलाचरण से प्रेरित हुए बिना नहीं रहता। मानव मानव बने यहीं आपका सदेश है। आपकी पावन प्रेरणा एवं शुभाशीर्वाद से मेरा यह शोधप्रबन्ध 'पासणाहचरितः एक समीक्षात्मक अध्ययन' प्रकाशित किया जा रहा है। इस शुभ अवसर पर मैं कृतज्ञतापूर्वक स्वात्मबोधलाभात्मक शुभाशीवाद की कामना के साथ पूज्य मुनि श्री के प्रति सादर नमोऽस्तु अर्पित करता हूँ।

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