Book Title: Panchpratikramansutra tatha Navsmaran Author(s): Jain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal View full book textPage 9
________________ m २६६ ३२६ U09 ५० पच्चक्खाणके सूत्र २७३ ५१ श्रीवर्धमानजिन-स्तुतिः [ 'स्नातस्या'-स्तुति ] २६१ ५२ भुवनदेवता-स्तुतिः [ भुवनदेवताकी स्तुति ] ५३ क्षेत्रदेवता-स्तुतिः [ क्षेत्रदेवताकी स्तुति ] २६८ ५४ चतुर्विंशति-जिन-नमस्कारः [ 'सकलार्हत्'-स्तोत्र ] ५५ अजिय-संति-थओ [ अजित-शान्ति-स्तव ] ५६ बृहच्छान्तिः [ बड़ी शान्ति ] ३७१ नवस्मरणानि ५७ संतिनाह सम्मदिट्ठिय रक्खा [संतिकरं-स्तवन'] [तृतीयं स्मरणम्] तिजयपहुत्त स्तोत्रम् [ चतुर्थः स्मरणम् ] ४०९ नमिऊण स्तोत्रम् [ पञ्चमं स्मरणम् ] अजितशान्ति स्तोत्रम् [ षष्ठं स्मरणम् ] भक्तामर स्तोत्रम् [ सप्तमं स्मरणम् ] कल्याणमन्दिर स्तोत्रम् [ अष्टमं स्मरणम् ] ५८ पाक्षिकादि अतिचार [ गुजराती सार्थ ] हिन्दी पाक्षिक अतिचार ४०२ ४०४ x१० ४१५ ४२२ ४६८ ४७७ उपयोगी विषयोंका संग्रह [१] मुहपत्तीके पचास बोल [२] प्रतिक्रमण सम्बन्धी उपयोगी सूचनाएँ [३] देवसिक प्रतिक्रमणकी विधि ४८० [४] रात्रिक प्रतिक्रमणकी विधि ४८८ [५] पाक्षिक प्रतिक्रमणकी विधि ४६३ [६] चातुर्मासिक-प्रतिक्रमणकी विधि ४६७ १. प्रथम, द्वितीय, तथा नवम स्मरणके लिए देखिये क्रमशः पृष्ठ १, ६१, ३ तथा ३७१। LJLL Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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