Book Title: Panch Ratna
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 7
________________ वह देशाटन पर जाने की तैयारी करने लगा। घर का सामान सँभालते समय अचानक एक पुरानी मंजूषा उसके हाथ में आ गई। मंजूषा खोली तो वह चकित रह गया वाह, कितने चमकदार हैं ये पाँच रत्न | जरूर कभी राजा ने प्रसन्न होकर पिताजी को भेंट दिये होंगे। पाँच रत्न अब मुझे कमाने की क्या जरूरत है। अब तो खूब मौज-शौक करूँगा, देश-विदेश घूमूँगा। देशाटन से आकर फिर एक रत्न बेचूँगा। बड़ा घर बन जायेगा। विवाह हो जायेगा। बस मौज से रहूँगा । वह मंजूषा को कपड़े में लपेटकर नगर के प्रसिद्ध जौहरी की दुकान पर ले गया और रत्न दिखाये। रत्न देखकर जौहरी चकित रह गया। नहीं, बस, कीमत जानना चाहता था। सहु कीमती रत्न हैं। कम से कम एक-एक करोड़ का एक-एक होगा। क्या इन्हें बेचना चाहते हो? 509 नारायण मंजूषा लेकर घर वापस आ गया और भविष्य के स्वप्न सँजोकर वह मन ही मन गुदगुदाने लगा। फिर उसने सोचा सुखद भविष्य के सपने देखने लगा परन्तु पीछे से मंजूषा किसी ने चुरा ली तो। इसे कहीं सुरक्षित रख देना चाहिए।

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