Book Title: Panch Ratna
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ कुछ दूर जाने पर चाँदी की खान आई तो उन सभी ने तबा फेंककर चाँदी बाँध ली। उस लोहे वाले व्यापारों से भी कहा भाई, देख हमारी तकदीर खुल गई। अब तो सँभल जा, लोहा फेंककर चाँदी ले ले। दुराग्रह का फल अरे, तुम लोग तो गिरगिट की तरह बार-बार रंग बदलते जाते हो, मर्द तो वह होता है जो सदा इकरंगा रहे। लोहे के व्यापारी ने उन्हें डाँट दिया खबरदार, जो मुझसे बार-बार कहा । मैं अपनी आन-बान अकड़-पकड़ पर मरने को तैयार हूँ। तुम्हारे जैसा ध्वजा का साथी नहीं हूँ । १७५ भाई, यह झूठा अहंकार है । समझदार व्यक्ति हमेशा लाभ का सौदा लेता है। तू अब तो मान ले, लोहे के बदले चाँदी ले ले, तेरी किस्मत बदल जायेगी। 22 उन्होंने समझाया अरे भाई, भाग्य ने अवसर दिया है तो इसका लाभ उठा ले । अपनी झूठी अकड़ छोड़, लोहा फेंककर चाँदी बाँध ले। वह सिर पर लोहे की गठरी उठाये आगे चल दिया। बड़बड़ाने लगाये कौन होते हैं मेरी किस्मत बदलने वाले। मैंने तो सदा चट्टान की तरह स्थिर रहना सीखा है। Mik Meng

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38