Book Title: Panch Ratna
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 31
________________ आत्मा का दर्शन एक बार केशीकुमार श्रमण से राजा प्रदेशी ने कहा-आप कहते हैं | आत्मा शरीर में रहती है, परन्तु मैंने तो एक आदमी के शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके देखा, कहीं भी आत्मा दिखाई नहीं दी। तब केशीकुमार ने चार लकड़हारों का उदाहरण देकर उन्हें समझाया। एक गाँव में चार लकड़हारे थे। रोज सुबह आसपास के जंगलों में जाते, लकड़ियाँ काटते, गट्ठर बाँधकर लाते और सायंकाल नगर में आकर बेच देते। आज तो बहुत लकड़ियाँ ) ( हाँ, आई आज सुबह जल्दी) इकट्ठी हो गईं। भी तो निकल गये थे। AR 110 TIL एक बार कई दिनों तक खूब वर्षा हुई। लकडहारे|| दूसरे ने कहाजंगल में लकड़ियाँ काटने नहीं जा सके। जब वर्षा यहाँ से दस कोस दूर एक घना जंगल है। सुना है वहाँ बन्द हुई तो चारों एकत्रित हुए। एक बोला | टूटी हुई सूखी लकड़ियाँ बहुत पड़ी हैं। हम वहीं चलें। क्यों भाई, क्या बात । ऐसी वर्षा में सुखी लकड़ियाँ है। आज लकड़ियाँ लेने मिलेंगी कहाँ? और गीली लकड़ी) नहीं चलोगे? / कोई खरीदेगा नहीं।

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