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पाँच रत्न
चारों तरफ से लोगों ने शुभमती पर फूलों की वर्षा की। सेठ बलभद्र ने कहा
सती शुभमती की जय ।
बहू, यह सब क्या रहस्य है। हमें बताओ तो सही।
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शुभमती आगे बोली
वही नाग अपना बदला लेने के लिये इस भवन में आकर छुपा और एक-एक करके आपके चार पुत्रों का काल बना। परन्तु आज मैंने उससे क्षमा माँगी और उसकी धरोहर वापस लौटायी तो शान्त होकर आपके पुत्र को जीवनदान दे दिया।
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शुभमती ने कहा
पिताश्री ! जो बीज बोया जाता है, वह अवश्य ही अंकुरित होता है। आपने ब्राह्मण पुत्र के पाँच रत्नों की धरोहर दबा ली थी। उसके साथ विश्वासघात किया, वही ब्राह्मणपुत्र आर्त्तध्यान से
मरकर नाग बना ।
सेठ ने आश्चर्य से पूछा
परन्तु उसने एक ही रत्न क्यों लिया?
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क्यों कि चार रत्नों के बदले वह आपके चार पुत्रों की जान जो ले चुका है। उसका हिसाब बराबर ।
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