Book Title: Panch Ratna
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ प्राचीन समय में श्वेताम्बिका का राजा प्रदेशी कट्टर दुराग्रह का फल माहितक था। उसने केशीकुमार भ्रमण नामक ज्ञानी आचार्य से आत्मा के विषय में चर्चा की। आचार्य के तर्कों से प्रभावित तो हुआ वह, परन्तु अपनी पकड़ नहीं छोड़ रहा था। तब केशीकुमार ने कहाराजन् ! जो अपने असत्य पक्ष का दुराग्रह रखता है, वह अन्त में उस लौह वणिक की तरह पछताता है। राजा के पूछने पर केशी श्रमण ने ये कथा कही राजनगर नाम का एक सुन्दर नगर था। अचानक एक दिन वहाँ भूकम्प आया। देखते-देखते बड़े-बड़े भवन ढह गये। चारों तरफ त्राहीत्राही मच गई। loae कुछ ही देर में नगर श्मशान जैसा दीखने लगा। चारों तरफ मलबे का ढेर लग गया। बचे हुये कुछ व्यापारियों आपस में विचार किया देखते-देखते सब कुछ बर्बाद हो गया, अब हम क्या करें, कहाँ जायें? 19

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38