Book Title: Panch Ratna
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 12
________________ पाँच रत्न इस आघात से नारायण पागल हो गया। वह राजमार्ग पर चीखता बड़बड़ाता घूमने लगामेरी रत्नों की पेटी ( अरे देखो, इतने बड़े सेठ ने हड़प ली। सेठ धर्मात्मा सेठ पर झूठा बलभद्र बेईमान है। कलंक लगा रहा है। Vers E जरूर यह पागल हो गया है। दुःख और भूख से बेहाल हुआ नारायण एक दिन मकान || सेठ बलभद्र मन ही मन प्रसन्न हो गयाकी छत पर से कूदकर मर गया। उसकी लाश पड़ी चलो, आज यह काँटा देखकर लोग एकत्र हो गये। भी निकल गया। अब अरे, यह तो वही पागल सारे रत्न मेरे। युवक है। देखो, ऐसे धर्मात्मा पुरुष को बदनाम करने का फल| आखिर कुत्ते ।। की मौत मर गया न। 2000-2 AKA

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