Book Title: Padmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti Author(s): Rameshchandra Jain Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha View full book textPage 6
________________ जनजीवन से सम्बन्धित जो विपुल सामन्नो रविणाचार्य की इस पुराण में संचित है, उसका सम्यक् आलोगन करके, बड़े श्रमपूर्वक एवं सूझबूम के साथ कॉजैन ने अपनी इस पुस्तक में उजागर किया है, जिसके लिए वह् साधुवादाह हैं । चयनित सामग्री का व्यवस्थित आकलन, तुलनात्मक विवेचन, उपर्युक्त सन्दर्भ, यथावस्यक पादटिप्पणियों, समीक्षक दृष्टि, उपयोगी परिशिष्टों आदि से समन्वित माह शोषप्रबन्ध ज्ञानवर्वक, प्रामाणिक एवं पठनीय है, और तद्विषयक पोष-खोज में सहायक होने की क्षमता से युगत है। रामकथा के विभिन्न पक्षों तथा ततिषयक विभिन्न साहित्यिक कृतियों पर गत पचास-साठ वर्षों में जो अनेकों शोधखोजपूर्ण विवेचन प्रकाश में आये है, और नित्य आ रहे है, उनमें डॉ. जैन के इस रविषेगोय पदमचरित दिषयक सांस्कृतिक अध्ययन को भी गणना होगी। ज्यो प्रसाद जैन ज्योति निकुञ्ज, चारबाग, लखनऊ-१९ वित्तांक २१-१०-१९८३ ई०Page Navigation
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