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दूसरा प्रकाश
मांसा प्रकरण में कहा है- "सूक्ष्म, अन्तरित और दूरवर्ती पदार्थ किसीके प्रत्यक्ष हैं, क्योकि वे अनुमानसे जाने जाते हैं। जैसे अग्नि आदि। इस अनुमान से सर्वज्ञ भले प्रकार सिद्ध होता है।"
सूक्ष्म पदार्थ वे हैं जो स्वभाव से विप्रकृष्ट हैं-दूर हैं, जैसे परमाणु आदि । अन्तरित वे हैं जो काल से विकृष्ट हैं, जैसे राम 5 आदि । दूर वे हैं जो देश से विप्रकृष्ट हैं, जैसे मेरु आदि । ये ‘स्वभाव, काल और देश से विप्रकृष्ट पदार्थ' यहाँ धर्मी (पक्ष) हैं। 'किसी के प्रत्यक्ष हैं' यह साध्य है। यहाँ 'प्रत्यक्ष' शब्द का अर्थ 'प्रत्यक्षज्ञान के विषय' यह विवक्षित है, क्योंकि विषयी ( ज्ञान ) के धर्म (जानना) का विषय में भी उपचार होता है। 'अनुमान से जाने जाते हैं' यह 10 हेतु है । 'अग्नि आदि' दृष्टान्त है । 'अग्नि प्रादि' दृष्टान्त में 'अनुमान से जाने जाते हैं' यह हेतु किसी के प्रत्यक्ष' हैं' इस साध्य के साथ पाया जाता है। अतः वह परमाणु , वगैरह सूक्ष्मादि पदार्थों में भी किसी को प्रत्यक्षता को अवश्य सिद्ध करता है। तात्पर्य यह कि जिस प्रकार अग्नि आदि अनुमान से जाने जाते हैं। अतएव वे किसी के 15 प्रत्यक्ष भी होते हैं। उसी प्रकार सुक्ष्मादि अतीन्द्रिय पदार्थ चूँकि हम लोगों के द्वारा अनुमान से जाने जाते हैं अतएव वे किसी के प्रत्यक्ष भी हैं और जिसके प्रत्यक्ष हैं वही सर्वज्ञ है । परमाणु आदि में 'अनुमान से जाने जाते हैं। यह हेतु प्रसिद्ध भी नहीं है, क्योंकि उनको अनुमान से जानने में किसी को विवाद नहीं है। अर्थात्-सभी मतवाले इन पदार्थों 20 को अनुमेय मानते हैं। ____ शङ्का-सूक्ष्मादि पदार्थों को प्रत्यक्ष सिद्ध करने के द्वारा किसी के सम्पूर्ण पदार्थों का प्रत्यक्षज्ञान हो, यह हम मान सकते हैं। परन्तु वह अतीन्द्रिय है-इन्द्रियों की अपेक्षा नहीं रखता है, यह कैसे ?
समाधान-इस प्रकार से—यदि वह ज्ञान इन्द्रियजन्य हो तो 25