________________
तीसरा प्रकाश
दूसरे प्रकाश में प्रत्यक्ष प्रमाण का निरूपण करके इस प्रकाश में परोक्ष प्रमाण का निरूपण प्रारम्भ किया जाता है।
परोक्ष प्रमाण का लक्षण
अविशद प्रतिभास को परोक्ष कहते हैं। यहाँ 'परोक्ष' लक्ष्य है, 'अविशदप्रतिभासत्व' लक्षण है। तात्पर्य यह कि जिस ज्ञान का 5 प्रतिभास विशद-स्पष्ट नहीं है वह परोक्ष प्रमाण है। विशदता का लक्षण पहले बतला पाये हैं, उससे भिन्न अविशदता है। उसी को अस्पष्टता कहते हैं। यह अविशदता भी विशदता की तरह अनुभव से जानी जाती है। ___ 'जो ज्ञान केवल सामान्य को विषय करे वह परोक्ष है' ऐसा 10 कोई (बौद्ध) परोक्ष का लक्षण करते हैं। परन्तु वह ठीक नहीं है। क्योंकि प्रत्यक्ष की तरह परोक्ष भी सामान्य और विशेषरूप वस्तु को विषय करता है। और इसलिये वह लक्षण असम्भव दोष युक्त है। जिस प्रकार प्रत्यक्ष घटादि पदार्थों में प्रवृत्त होकर उनके घटत्वादिक सामान्याकार को और घट व्यक्तिरूप व्यवच्छेदात्मक विशेषा- 15 कारको एक साथ ही विषय करता हुआ उपलब्ध होता है उसी प्रकार परोक्ष भी सामान्य और विशेष दोनों आकारों को विषय करता हुआ उपलब्ध होता है। इस कारण 'केवल सामान्य को विषय करना' परोक्ष का लक्षण नहीं है, अपि तु अविशदता ही परोक्ष का लक्षण है। सामान्य और विशेष में से किसी एक को 20 विषय करने वाला मानने पर तो प्रमाणता ही नहीं बन सकती है। क्योंकि सभी प्रमाण सामान्य और विशेष दोनों स्वरूप वस्तु को विषय करने वाले माने गये हैं। कहा भी है-"सामान्य और विशेष