Book Title: Nyaya Dipika
Author(s): Dharmbhushan Yati, Darbarilal Kothiya
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 353
________________ तीसरा प्रकाश २१३ इस उपयुक्त दृष्टान्त का जो सम्यक् वचन है-प्रयोग है वह उदाहरण है। केवल 'वचन' का नाम उदाहरण नहीं है, किन्तु दृष्टान्तरूप से जो वचन-प्रयोग है वह उदाहरण है। जैसे—'जो जो धूमवाला होता है वह वह अग्नि वाला होता है, जैसे—रसोई घर, और जहाँ अग्नि नहीं है वहाँ धूम भी नहीं है, जैसे-तालाब ।' 5 इस प्रकार के वचन के साथ ही दृष्टान्त का दृष्टान्तरूप से प्रतिपादन होता है। उदाहरण के प्रसङ्ग से उदाहरणाभास का कथन जो उदाहरण के लक्षण से रहित है किन्तु उदाहरण जैसा प्रतीत होता है वह उदाहरणाभास है। उदाहरण के लक्षण की रहितता 10 (अभाव) दो तरह से होती है—१ दृष्टान्त का सम्यक् वचन न होना और २ जो दृष्टान्त नहीं है उसका सम्यक वचन होना। उनमें पहले का उदाहरण इस प्रकार है-'जो जो अग्नि वाला होता है वह वह धूम वाला होता है, जैसे- रसोईघर । जहाँ जहाँ धूम नहीं है वहां वहां अग्नि नहीं है, जैसे-लालाब ।' इस तरह ब्याप्य 1 और ब्यापक का विपरीत ( उल्टा ) कथन करना दृष्टान्त का असम्यग्वचन है। शङ्का-व्याप्य और व्यापक किसे कहते हैं ? समाधान—साहचर्य नियमरूप व्याप्ति क्रिया का जो कर्म है उसे ब्याप्य कहते हैं, क्योंकि 'वि' पूर्वक 'प्राप्' धातु से 'कर्म' 2 अर्थ में ‘ण्यत्' प्रत्यय करने पर 'व्याप्य' शब्द निष्पन्न होता है। तात्पर्य यह कि 'जहाँ जहाँ धूम होता है वहां वहां अग्नि होती है' इस प्रकारके साथ रहने के नियम को व्याप्ति कहते हैं, और इस व्याप्ति का जो कर्म है—विषय है वह व्याप्य कहलाता है। वह व्याप्य धूमादिक हैं, क्योंकि धूमादिक वह्नयादि के द्वारा ..

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