Book Title: Neminath Stotra Sangraha
Author(s): Tirthbhadravijay
Publisher: Shraman Seva Religious Trust
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२३०. श्रीनेमिनाथस्तोत्रसङ्ग्रहः ३. लोद्रवमण्डनश्रीपार्श्वनाथाष्टकम् ॥
अश्वसेननरेन्द्रस्य, वामादेव्याश्च सत्सुतः । श्रीपार्को जाग्रदैश्वर्यो, भूयान्मे भवभित्तये ॥१॥ [अनुष्टुभ्] भविदुःखदवानलमेघसमो, जनसौख्यकरः शिवशर्मगतः । शुभभावविकासनसूर्यनिभो, जय पार्श्वजिनेश्वरकामघटः ॥२॥ [तोटकम्] अतिदुर्जयकामनिवारक हे, त्रिदशोत्तमसेवितपत्कज वै। गतमोहविनाशितकर्मदलो, जय पार्श्वजिनेश्वरकामघटः ॥३॥ वरकृष्णतनो शुभकल्पतरो, जगदीश्वर शोभननित्यसुधीः। .. वरकेवलबोधितभव्यजनो, जय पार्श्वजिनेश्वरकामघटः ॥४॥ गतकल्मष-साधितमोक्षसुख:, फणिचिह्नगतः शिवसार्थपतिः। . भवसन्ततिसञ्चितकर्महरो, जय पार्श्वजिनेश्वरकामघट: ।५।। निरुपाधिकसर्वकलासुनिधि-निजकान्तिविर्निजितदेहिगणः । अघसन्ततिमात्रविभेदकरो, जय पार्श्वजिनेश्वरकामघटः ॥६॥ विजितान्तरवैरिगणो भगवान्, समतारसपूरगतः सततम् । नवरनितनुः सुविभुः सुखदो, जय पार्श्वजिनेश्वरकामघटः ॥७॥ अतिमन्त्रसुगर्भितरम्यतरं, तव नाम जपन्ति नरा इह ये। परियान्ति सुखानि च ते हि कलौ, जय पार्श्वजिनेश्वरकामघट: ॥८॥ वेदरस-सिद्धि-चन्द्रवर्षे ज्येष्टे सिते दले। राकायां च तिथावेष, संस्तुतः पार्श्वनायकः ॥९॥ [अनुष्टुभ्] विदुषो रामचन्द्रस्य, विनेयेन हितैषिणा। आनन्दवल्लभेनेति, सः श्रीलोद्रवपत्तने ॥१०॥
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