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पहला परिच्छेद उसकी यह अवस्था देखकर एक दिन उसकी प्रिय सखी कमलिनीने उससे पूछा :--"वहिन ! तुम्हें आज कल क्या हो गया है ? न अब तुम पहलकी भाँति हँसती हो न बोलती हो। चेहरा पीला पड़ गया है
और शरीर दुबला हो गया है। रात दिन अपने मनमें न जाने क्या सोचा करती हो? क्या मैं जान रामती हूँ कि तुम्हारी ऐसी अगस्था क्यों हो रही है ?" ।
राजकुमारीने कहा :- "हे सखी कमलिनी ! तुम सर्वथा एक अपरिचित व्यक्तिकी भांति मुझसे यह प्रश्न क्यों करती हो ? मैं तो समझती हूँ कि मेरी इस अवस्थाका कारण तुम्हें भली भांति मालूम है। तुम तो मेरे हृदय-मेरे जीवन के समान हो। मुझसे ऐसा प्रश्नकर मुझे क्यों लजित करती हो?"
कमलिनीने कहा:-हे सखी ! तुम्हारा कहना कुछकुछ ठीक है। तुम्हारी इस अवस्थाका कारण मुझसे सर्वथा छिपा नहीं है। मेरी धारणा है कि तुम राजकुमार धनसे मिलनेके लिये व्याकुल हो रही हो। जबसे तुमने उस चित्रको देखा, तभीसे तुम्हारी इस अवस्थाका