Book Title: Navkar Mahamantra Kalp Author(s): Chandanmal Nagori Publisher: Chandanmal Nagori View full book textPage 5
________________ विश्चित् वक्तव्य श्रीनवकार महामंत्र कल्पको तीसरी आवृत्ति I पाठकों के सामने रखते हुवे हर्ष होता है । जैन समाजने प्राचीन प्रथका संग्रह जिस प्रकार किया था उतने प्रमाण में रक्षा नही हो सकी जिससे बहुतसा साहित्य लोप हो गया है। फिर भी जो कुछ बचा है वह कम नही हैं, इस समय जो प्राचीन भण्डार देखने में आते हैं उनको भव भी रक्षित रखे जांय तो जैन समाजका गौरव है । यह नवकार महामंत्र कल्प हमें एक भण्डारमेंसे प्राप्त हुवा था जिसका वृत्तान्त प्रथम प्रकाशन में दिया गया है, इस कल्प पर स्वाभाविक ही प्रेम होनेसे सम्वत् १९९० के कार्तिकी पूनमको प्रथम आवृतिका प्रकाशन हुवा और इतनी जल्दी पुस्तकें खतम हो गई कि दूसरी आवृत्तिका प्रकाशन १९९१ वैशाख सुदी १ अर्थात् साडे पांच महिने बाद ही कराना पडा इन प्रकाशनमें हमारा नया साहसथा और कुछ जल्दी भी थी इस लिए अशुद्धियां रहजाना संभव था । प्रथम आवृत्ति शेठ कुवरजीभाई आनन्दजी भावनगर वालोंकी सेवामे भेजी गई और आपने जहां जहां अशुद्धियां देखी सुधार कर कापी वापस भेजी लेकिन उसके आनेते पेशतर दुसरी आवृत्तिका प्रकाशन हो चुका था इस लिए अशुद्धियां नहीं सुधार सके । लेकिन जब जब पुस्तक हाथमें आती थी शेठ कुंवरजीभाईकी याद आ जाती और अब तक वे अशुद्धियां अखरती रही, दरम्यानमें ऋषिमंडल स्तोत्र भावार्थ -- नामकी पुस्तक के प्रकाशनमें लग जानेसे व और भी अनिवार्य संजोगसे प्रकाशन नही हो सका । इस तीसरी आवृत्तिमें शेठ कुंवरजीभाईकी आज्ञाके मुवाफिक सुधार किया गया है, फिर भी सम्भव है अशुद्धियां रह गई हों तो पाठक सुधार कर पढें । इस विषयमें कुंवरजीभाइके हम अत्यंत आभारी है ।Page Navigation
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