Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Parasmuni
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ किया है। आप श्रुत सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं। आप से समाज बहुत लाभान्वित होगा और निर्ग्रथ परम्परा को बल मिलेगा, ऐसा हमारा विश्वास है। [4] प्रथमावृत्ति का प्रकाशन ६ वर्ष पूर्व हुआ था। यह आवृत्ति समाप्त हो जाने के बाद इसकी निरन्तर माँग आ रही थी। हमारा विचार इस बार विशेष विवेचनयुक्त आवृत्ति का प्रकाशन करने का था। हमने गत वर्ष जयपुर चातुर्मास के समय मुनि श्री से निवेदन किया। आपने हमारी प्रार्थना स्वीकार की और काम प्रारम्भ कर दिया। परिणाम पाठकों के हाथ में है। सैलाना (मध्य प्रदेश ) द्वितीय श्रावण शु० वि० ८ सं० २०२३ Jain Education International ज्ञान की महिमा ज्ञान गुण मोदक हू सो मीठो । टेर । जा को ज्ञान रुच्यो ता जन को, लागत षट रस सीठो ॥ १ ॥ भोगे भोग विवश याही ते, करम न बाँधे चीठो ॥ २॥ ज्ञान बिना जाने ना प्राणी, निज- पर ईठ अनीठो ॥ ३ ॥ ज्ञान क्रिया दोऊ सदरिस पै, लागे ज्ञान गरीठो ॥ ४॥ 'माधव' कहे ज्ञान गुण दायक, सुगुरु मगन मुनि दीठो ॥ ५ ॥ For Personal & Private Use Only . रतनलाल डोशी www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 314