Book Title: Mudra Vignan
Author(s): Nilam P Sanghvi
Publisher: Pradip Sanghvi

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Page 4
________________ दो शब्द .... मनुष्य का शरीर ब्रह्मांड की एक छोटी प्रतिकृति ही है । अगर हम अपने शरीर के रहस्य को जाने तो पता लगेगा कि अपना शरीर इतना सक्षम बना हुआ है कि जितनी तकलीफें इस शरीर में उत्पन्न होती है वे सभी दूर करने की क्षमता और शक्ति भी इसी शरीर में है I | मुद्राविज्ञान प्राचीन भारतीय ऋषिओं के गहरे अध्ययन का परिणाम है । जिस तरह से पर्यावरण से व्यक्ति प्रभावित होता है इसी तरह से व्यक्ति के स्नायु और ग्रंथितंत्र मुद्रा से प्रभावित होते हैं । मनुष्य अपने व्यक्तित्व का विकास और इच्छित स्वभाव परिवर्तन भी मुद्रा से कर सकता है । मुद्राओं का अभ्यास न केवल प्रभावशाली है बल्कि वैज्ञानिक होने के साथ साथ प्रयोग करने में अति सरल हैं। मुद्राविज्ञान के विशेषज्ञ और मर्मज्ञ आचार्य केशव देव ने (विवेकानंद योगाश्रम, दिल्ली) अनेक मुद्राओं पर साधना और गहन शोध के बाद मुद्राओं को स्वास्थ्य की चाबी के रुप में प्रस्तुत किया है। उनका कहना है कि, 'मुद्रायें मानव शरीररुपी महायंत्र के नियंत्रक बटन के समान हैं, जिसकी मदद से शरीर में अलौकिक शक्ति या एक खास प्रकार की ऊर्जा तरंगे जरुरत के हिसाब से प्रवाहित होती है और असन्तुलन को दूर करती है। योग्य मुद्राओं के अभ्यास से शरीर के पंच तत्त्वो में सन्तुलन उत्पन्न होता है जो मनुष्य को स्वास्थ्य लाभ तो देने के साथ-साथ भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति भी देता हैं ।' =

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