Book Title: Mat Mimansa Part 01
Author(s): Vijaykamalsuri, Labdhivijay
Publisher: Mahavir Jain Sabha

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Page 9
________________ FEEEEEEEEE ***.............. FEEEEEEEE जैनाचार्य - श्रीमद्विजयकमलसूरिवर्य्य as गुणस्तुत्यष्टकम् | 66 शिखरिणीवृत्तम् । सुरारातिक्षुब्धाऽमरमथितपीयूषजलधिपरिस्फूर्जत्तुङ्गोर्मिरुचिरुचिरं यस्य वचनम् । जनानामाल्हादं हृदि वितनुते तं गुणनिधि, सुभक्त्या वन्दे श्रीविजयकमलाचार्य मनिशम् ॥ १ ॥ क मे स्वामी धन्यः सकलजनचेतः सुखकरः, व ते नाथः क्रूरो निखिलजनता खेदितमनाः । प्रतापौ संवादं तनुत इति यस्यापि च खेः, सुभक्त्या तं वन्दे विजयकमलाचार्यमनिशम् ॥ २ ॥ ' निशाधीशज्योत्स्नानिवहविशदेलाधरशिरःक्षरद्गङ्गावेला पटलविमलं यस्य वचनम् । सुभक्तानां नाशं नयति नितरां कल्मषचयं, सुभक्त्या तं वन्दे विजयक्रम लाचार्यमनिशम् ॥३॥ -- समुद्रं गाम्भीर्यात्तरणिमपि तेजोभिरनधैहिमांशुं वाक्च्छैत्याद्विमलधिषणातः सुरगुरुम् । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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