Book Title: Mantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ (ए) ॥दोहा॥ ॥ एहवे थाकी बालिका, रामत करीने ताम ॥खेद खिन्न हुई थकी, बेठी सहु एक गम ॥१॥ मान वती धनदत्तधिया. निवसी कुमरी मद्य ॥ सोहे एह वी सील जिम, वीट्यो हतो लश ॥२॥ रोहि णिना तारकपरे, सोहे कन्या पंच ॥ मांडे अंतरगत तणी, वातो तजी खल खंच ॥३॥ नृप जोतो हर णीपरें, ऊनो निसुणे वात ॥ वातो जे थाय हां, मूकी सुणो व्याघात ॥४॥ ॥ ढाल चोथी॥ ॥ नदी यमुनाके तीर उडे दोय पंखीया॥ए देशी॥ ॥ मानवती जणी ताम वदे चउबालिका, रे रे सांनल प्राणतणी प्रतिपालिका ॥ रामतमांहे आज विलंब न कीजीयें, खेली खेल अशेषके लाहो ली जीयें ॥१॥ थोमामांहें काज घणो न बिगामिये, थोमी रही ले रेण रमीने गमामिये॥ए मेलोएरात जाए सोहणा जिसी, उगे उतस्यो खेदके ढील करो किसी ॥२॥ जाय श्राजनी रात ते कोमिटंका समी, नोली थाए असुर गृहे पोहोचो रमी॥लटका चटकामांहे जे कोई न माणसे, तो बालापण एह पढ़ें Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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