Book Title: Mantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 9
________________ (७) ॥ ढाल त्रीजी ॥ रमतां फाटो घाघरो रे, दस गज फाटो चीर रे हूंबे॥ आवे रे उलगाणा तारी कांकणीने जूंबे ॥ ए देशी॥ ॥ चरणे बांधी घूघरा रे, फरहरतां करी वस्त्र रे बाला ॥ ढलता रे मूक्यां शिरथी गोफणा फूंदाला ॥१॥ विमल कमल लेई बिहू करे रे, घाले हसि गल बां हिरे दोमी ॥ जाणे रे मतवाला मूक्या कलनलारे बोनी ॥२॥क्षिणमे पय करी एकठारे, एकएकना ग्रहे हाथ रे कूदी॥मातीरे रस राती ताती लेवतीरे फूदी ॥३॥ घाले घुमण घुमतीरे, पयतलनी पमता ल रे रूमी॥खलके रेचलकारा हाथे सोनतीरे चूमी ॥४॥ गाती गीत सुकंठथी रे, फांऊरनाऊणकार रे रंगें ॥ जाणे रे कहकी कोकिल अंबने प्रसंगें ॥५॥ एमी एक उनी रहे रे, चक्रपरे फेर फरे रे थोमो॥ दोमीने ले घेरी पाणी पंथनो ज्यु घोमो॥६॥एक एकने ताली दीये रे, मलकती करती हास रे वारु॥ वसननी जोतें दीपक हार तो ते वारु ॥७॥ नाचे नवनव रीतथी रे, बंद अने उपबंदरे माने।पोहोची रे न सके कोई किन्नरीयुं गाने॥७॥ विस्मय पाम्यो मन्नमां रे, निरखी एहवो ख्याल रे राजा ॥ आलोचे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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