Book Title: Mantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 10
________________ ( 2 ) एहवो तिहां पथी दीवाजा || || एहशुं गगनथी ऊतरी रे, श्रावी रमवा काजरे रंगें ॥ सहुने सुख दो वे वलि एहने प्रसंगें ॥ १० ॥ टोले मलि ए नाचती रे, अपर मलीने छात्र रे एहवी ॥ बीजी रे सी दीजे एहने उपमा रे केहवी ॥ ११ ॥ नाखीयें एहने क परे रे, उर्वसीने उवार रे साचे ॥ खेचरीयो सुरनारी बापमी सुं नाचे ||१२|| के ए पातालनी सुंदरी रे, यावी रमवा काज रे रे | ॥ मेतो रे नव दीवी एवी कोई मृगानेी ॥ १३ ॥ याज जले इहां नीसस्यो रे, रिज जोवा का रे हूं तो ॥ नहि तो ए कौतुक नय कहां थकी रे जोतो ॥ १४ ॥ याज नयण पावन थयां रे, वदनमें अमृत बिंदू रे पीधुं ॥ चोरीने कन्याये माहरुं मन्नडुं रे लीधुं ॥ १५ ॥ एहवे रूपें बालिका रे, किम घमी सक्यो किरतार रे साथे ॥ एहवी. रे बिपी रुमी बेटी क्यांथकी रे हाथे ॥१६॥ चिंतवतो एम नूपती रे, ऊनो समीपें थाय रे बानो || सांजलतो चित आणी गीत थई एकतानो ॥ १७ ॥ मोहन विजयें रंगथी रे, जाखी त्रीजी ढाल रे मीठी ॥ कहिये बे सुकथा जेहवी शास्त्रमांहे दीवी ॥ १८ ॥ For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International

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