Book Title: Mantra Yantra aur Tantra
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 37
________________ मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर मेरे विचार से व्यक्ति के जीवन में उसकी इच्छानुसार कार्य न होना ही दु:ख व समस्या है। इसमें ९५ प्रतिशत समस्याएं व्यक्ति के स्वयं के कर्मों द्वारा व ५ प्रतिशत समस्याएं पूर्वजन्मकृत (भाग्य) कर्मों पर आधारित हैं। ज्यों - ज्यों हमारी महत्वाकांक्षाएं, इच्छाएं, अपेक्षाएं, अभिलाषाएं, मोहादि का दायरा बढ़ता जाता है कि त्यों-त्यों हमारी समस्याएं परेशानियां बढ़ती जाती हैं। फिर हम मजबूरी वश अपनी समस्याओं की पूर्ति के लिए किसी तांत्रिक, ज्योतिषी या डॉक्टर के पास जाते हैं और ठगाएं जाते हैं। मेरे निजी विचार से आज कोई कितना भी बड़ा ज्योतिषी, तांत्रिक या चमत्कारिक शक्ति आपके भाग्य व कर्म से अधिक कुछ भी नहीं दे सकते। जीवन-मरण, हानिलाभ, यश-अपयश, आदि सब आपके पूर्व व वर्तमान कर्मों पर निर्भर है। उपाय तो मात्र इतना कार्य कर सकते हैं कि जैसे नल पाईप में कोई कंकरी फँसी हो तो जल प्रवाह अवरुद्ध होता है, यदि उस अवरुद्ध (कंकरी) को हटा देते हैं तो पानी प्रवाहित होने लगता है। ठीक ऐसे ही जो ऊर्जा अन्यत्र जा रही थी उसे मंत्र द्वारा सही जगह पर लगाना ही समस्या का सही समाधान है। मेरे विचार से उपाय का अर्थ ऊर्जा का उपयोग है। क्योंकि ग्रह कोई ठोस व्यक्ति विशेष न होकर राशियों (गैसों) के पिन्ड हैं। और प्रत्येक व्यक्ति उन राशियों से कम या अधिक प्रभावित होता है। जिसे हम उपाय के माध्यम से न्यूनाधिकता को कम या ज्यादा कर सकते हैं जो कार्य सिद्धि में सहायक होती है। वैसे उपायों में भी गहन विज्ञान छुपा है। जैसे पीली हल्दी की गाँठ को पूजा करके अपने पास रखने से धन शुभता का कार्य प्रशस्त होता है। क्योंकि पीली हल्दी गुरु का प्रतिनिधित्व करती है और गुरु धन व ज्ञान का कारण है। जब हम पूजा करते हैं तो हमारे दिमाग की तरंगें उसमें प्रविष्ट होकर उसका प्रभाव बढ़ाती हैं व उसे शरीर में रखने से यह शेष रंगों को अवशोषित करके पीले रंग को प्रभावी बनाती हैं, जिससे हमारे शरीर के पास या उस स्थान पर विशेष औरा बनाती हैं, जो अनूकूल होकर उससे संबंधित तत्त्वों को आकर्षित करती हैं। इसमें हमारी आस्था व विश्वास जितना प्रगाढ़ होगा, उतना ही अधिक ओरा (आभामण्डल) बढ़ेगा व आपसे संबंधित व्यक्ति या वस्तु 37

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