Book Title: Mantra Yantra aur Tantra
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 39
________________ मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर णमोकार का चिंतन) मंत्र हमारी सुरक्षा करता है एवं मंत्रों से ही हमारा कवच बनता है। हमारे इर्द-गिर्द आभामण्डल को शब्द का संयोजित रूप मंत्र दृढ़ता देता है। मंत्र संकट का निवारण करता है। मंत्र से अनेक कार्य सम्पन्न होते हैं। शब्द के साथ संकल्प शक्ति जुड़ती है तो सर्व कार्य सम्पन्न हो जाते हैं। मंत्र का दुरुपयोग भी संभव है। - जो पुनः-पुनः अभ्यास एवं मनन से सिद्ध होता है वह मंत्र है। इससे लौकिक व लोकोत्तर सभी कामनाएँ पूर्ण होती हैं। मंत्र दैवी शक्ति है जो ध्वनि के रूप में अभियोजित होती है। मंत्र के जाप से स्पन्दनों का निर्माण होता है। स्पन्दनों से आकृतियाँ बनती हैं। ये स्पन्दन शक्तिशाली आध्यात्मिक शक्तियाँ होती हैं। मंत्र का जाप करने से ये शक्तियाँ उद्घाटित होती हैं। आचार्य सोमदेव महाराज ने यशस्तिलक चम्पू में लिखा है- भाष्य जप से जितना लाभ होता है, उससे हजार गुना लाभ अंतर्जप (उपांशु) जाप से होता है और अफ्रजप से जो लाभ होता है उससे हजार गुना लाभ मानसिक जप से होता है। मंत्र साहस बढ़ाने का माध्यम है। साहस के लिए जितनी ऊर्जा चाहिए, वह यदि प्राप्त होती है तो साहस जाग जाएगा। ___ अब हम नवकार मंत्र की बात करेंगे। नवकार मंत्र अनादिसिद्ध मंत्र है। इसे परमेष्ठी मंत्र भी कहते हैं। इसमें चौदह पूर्वो का सार है। सम्पूर्ण जैन वाङ्मय इसमें समाया है। यह परम मंगलकारी है। प्रथम दो पद देव कोटि में आते हैं। शेष तीन पद गुरु कोटि में आते हैं। जिस स्थान पर मयूर अपने पंखों को फैलाकर नृत्य करते हैं उस स्थान पर रह रहे व्यक्तियों को सर्प का लेशमात्र भी भय नहीं रहता । वैसे ही नमस्कार महामन्त्र को मनोमंदिर में प्रति समय उपयोग पूर्वक स्मरण में रखने वाली आत्मा को भयंकर विडंबना दायक संसार कुछ नहीं कर सकता। जापाज्जयेत्क्षयमराचक माग्निमांद्यं, कुष्ठोदरामकसनश्वनादि रोगान् । प्राप्नोतिचाऽप्रतिमवाग् महतीं महद्भयः, पूजां परत्रच गतिं पुरुषोत्तमाप्ताम् । नवकार मंत्र के जाप से क्षय, अरुचि, अपच, कोढ़, आँवरोग, खाँसी, श्वास आदि रोगों का नाश होता है। जाप करने वाला अप्रतिम वाणी वाला बनता है। अंत में परमगति (मोक्ष) को प्राप्त होता है। शब्द अथवा शब्दों के समूह का अर्थ उनकी मानस पटल पर छवि, ज्ञान, ध्यान, 39

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