Book Title: Mantra Yantra aur Tantra
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 84
________________ मंत्र यंत्र और तंत्र मन्त्री को अक्षर के प्रति सभी प्रयत्न करने चाहिये । क्र. १. २. ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. बीजाक्षर अं आं इं 3. १०. ११. एं १२. ऐं १३. ओं १४. औं १५. अं १६. अः १७. कं खं १८. १९. गं २० घं २१. डं २२. चं २३. छं मंत्र अधिकार २४. जं बीजाक्षरों की सामर्थ्य मुनि प्रार्थना सागर बीजाक्षरों के कार्य मृत्यु नाशन, अतिबली, गंभीर आकर्षण, महाद्युति कारक पुष्टिकर, दिव्य शक्ति कारक आकर्षण बलकारक, वशीकरण, आकर्षण उच्चाटन क्षोभणं, सर्वविघ्न विनाशक मोहन, व्यभिचार, मोहन विद्वेषण, सर्वविघ्नकारी उच्चाटन कारक वश्य, शुभकारक पुरुष वश्य लोक वश्य राजा वश्य, स्तम्भन शक्ति नपुं. नपुं. हस्ति वश्य, प्रसन्न, अतिमधुर मृत्यु नाशक, शुभकर्म शासन नपुं. विष बीज, स्तंभन शान्ति, पौष्टिक, वश्याकर्षणकारी नपुं. स्तंभन, चिन्तित मनोरथकारी नपुं. गणपति, सर्वशान्तिकर पु. स्तंभन, उच्चाटन, छेदन, मोहन, सर्वशान्तिकर, महाशक्ति असुर, दुर्दृष्टि, दुष्टस्वर सुरबी लाभ और मृत्यु नाशक, आकर्षणादि रौद्रकर्म, सर्वकार्यसिद्धि कारक लिंग ब्रह्मराक्षस और मृत्यु नाशक, वश्याकर्षण, सत्यवादी 84 (b) पु स्त्री नपु स्त्री स्त्री स्त्री नपुं. नपुं. नपुं. नपुं. नपुं. नपुं. ........ नपुं. नपुं. नपुं. वर्ण हेम श्वेत हेम श्वेत धूम्र रक्त कपिल पीत पीत ? अग्नि स्वर्ण पीत श्वेत धूम्र पीत धूम्र श्वेत श्याम

Loading...

Page Navigation
1 ... 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97