Book Title: Mantra Yantra aur Tantra
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 68
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर मंत्र सिद्ध होगा या नहीं देखने की विधि मंत्र के अक्षरों को ३ से गुणा करें, फिर अपने नाम के अक्षरों को और मिला देवें, उस संख्या में १२ का भाग देवें, शेष जो रहे, उसका फल निम्नलिखित जानें। ५-९- बाकी बचे तो मन्त्र सिद्ध होगा। ६-१०- बचे तो देर से सिद्ध होगा। ७-११- बचे तो मन्त्र अच्छा होगा। ८-१२- बचे तो सिद्ध नहीं होगा। पुरुष का ऋणी धनी विचार किसी पुरुष या स्त्री से कोई कार्य लेने के लिए मंत्र जपना हो तो निम्नलिखित उपाय से विचार करें कि काम देने वाला व्यक्ति साधक का ऋणी है या नहीं। यदि साधक ऋणी होगा तो कार्य निश्चय रुप से पूर्ण होगा। नीचे लिखे कोष्ठक से वर्णों और उनकी शत्रु मित्रता का ज्ञान हो जावेगा। इस कोष्ठक में ऋणी-धनी इस रीति से देखा जा सकता है कि दोनों पुरुषों के अक्षरों की संख्या को पृथक्-पृथक् कर दो से गुणा करें, फिर जो-जो संख्या आये उसमें प्रथम में दूसरे व्यक्ति के नाम अक्षरों की संख्या को और दूसरे में प्रथम व्यक्ति के नाम अक्षरों की संख्या को जोड़कर आठ का भाग दें। फिर दोनों में जिसका अंक शेष अधिक हो वह ऋणी जिसका न्यून हो वह धनी। अर्थात् अधिक अंश वाला न्यून अंक वाले को धन देगा। जैसे सेठ भगवानदास के पास नन्दकिशोर नौकरी चाहता है तो उसको मिलेगी या नहीं। अब देखों भगवानदास की संख्या छह है और नन्दकिशोर की पांच हैं। दोनों को दो से गुणा किया तो ६४२=१२ और ५४२= १० अब इसमें एक दूसरे की वर्ग संख्या जोड़ दो आठ का भाग दो। १२+५=१७’ ८=१शेष। १०+६= १६’ ८ =० शेष। यहां पर शून्य के शेष से भगवानदास का शेष १ अधिक है। अतः भगवानदास नन्दकिशोर को नौकरी पर रख लेगा। संख्या वर्ग का स्वामी वर्ग के अक्षर शत्रु मित्र उदासीन १. गरुण अ ई उ ए सर्प श्वान सिंह बिलाव क ख ग घ ङ मूषक श्वान च छ ज झ ञ मृग मूषक सर्प श्वान ट ठ ड ढ ण मृग मूषक ५. सर्प त थ द ध न गरुड़ मेष मृग ६. मूषक प फ ब भ म बिलाव गरुड मेष य र ल व सिंह बिलाव गरुड = 68 सिंह - प मग

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