Book Title: Mangal Mandir Kholo Author(s): Devratnasagar Publisher: Shrutgyan Prasaran Nidhi Trust View full book textPage 8
________________ Recenessessor परमपद के पथ में ज्योतिर्मय पाद-मार्ग... (भूमिका) परम पद अर्थात् मोक्षपद। साधक का अन्तिम लक्ष्य मोक्ष। आराधक का अविराम विराम-केन्द्र मोक्ष। इस प्रकार के मोक्ष की प्राप्ति के लिये, हमारे जीवात्मा को अनादि काल में जीव से लिपटे हुए मोह रूपी मिथ्यात्व को दूर हटाना ही होगा। मिथ्यात्व घोर अंधकार है। उस अंधकार को विदीर्ण करके परम पद के पथ में एक ज्योतिर्मय पादमार्ग को प्रस्तुत करते हैं - इस ग्रन्थ में जिनका विस्तृत विवेचन है वे "मार्गानुसारी के पैंतीस गुण।" इन पैंतीस गुणों की यहाँ भूमिका है। इस भूमिका का मनन करके हम सब अपनी आत्म भूमिका को निर्मल करने के पश्चात् चलना प्रारम्भ करें... उन पैंतीस गुणों के ज्योतिर्मय पाद-मार्ग पर.... GAON RRORISKS SOCIOCOMPage Navigation
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